अब देश में रह जाएंगे केवल 12 सरकारी बैंक
50 साल पहले जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। पांच दशक में कई सारे निजी और राष्ट्रीयकृत बैंक बढ़े और अब केंद्र सरकार के नए एलान के बाद देश में 12 सरकारी बैंक रह जाएंगे। विलय के बाद इन बैंकों का कुल कारोबार 55.81 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। बैंकों के विलय के बाद इनकी रैंकिंग में भी इजाफा हो जाएगा।
इसी सिलसिले में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कई बैंकों के आपस में विलय का एलान किया है। केंद्र सरकार के इस बड़े एलान के साथ ही अब देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी। इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में जहां देना बैंक और विजया बैंक का विलय हुआ था, वहीं शुक्रवार को 10 बैंकों को मिलाकर कुल चार बड़े विलय का एलान किया गया है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों के विलय का एलान किया। उन्होंने कहा कि यूनाइटेड बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और पंजाब नेशनल बैंक का विलय होगा। दूसरी ओर केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का आपस में विलय होगा। तीसरा बड़ा विलय यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का होगा, जबकि इलाहाबाद बैंक के साथ इंडियन बैंक का विलय होगा।
अब इन 10 बैंकों की जगह केवल चार राष्ट्रीयकृत बैंक होंगे, जबकि पहले से मौजूद आठ अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों को मिलाकर देश में सरकारी बैंकों की संख्या केवल 12 रह जाएगी।
पहले से मौजूद सरकारी बैंक जो अकेले वजूद में हैं
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ महाराष्ट्र
यूको बैंक
पंजाब एंड सिंध बैंक
इंडियन ओवरसीज बैंक
बैंक ऑफ बड़ौदा (देना बैंक और विजया बैंक के विलय के बाद)
केंद्र सरकार के नए एलान के अनुसार इन बैंकों का हो रहा है विलय
पंजाब नेशनल बैंक + ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स + यूनाइटेड बैंक
केनरा बैंक + सिंडिकेट बैंक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया + आंध्रा बैंक + कॉरपोरेशन बैंक
इलाहाबाद बैंक + इंडियन बैंक