नोटबंदी को लेकर माले का जन संवाद

नोटबंदी को लेकर माले का जन संवाद
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रांची : माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्या ने कहा कि नोटबंदी को लेकर कोई आर्थिक नीति नहीं है. यह लोगों को भ्रम में डालने के लिए किया गया प्रयास है. देश के प्रधानमंत्री का चेहरा दो कंपनियों के प्रचार में दिखाया जाता है. इन कंपनियों को प्रोमोट करने के पीछे सरकार जनता से चाहती है कि जियो पेटीएम से, मरो एटीएम में. मोदी सरकार ने आम लोगों को मारने का नया तरीका खोज लिया है. पहली बार देश में लोग अपना पैसा निकालने में मर रहे हैं. श्री भट्टाचार्या रविवार को माले कार्यालय में नोटबंदी पर आयोजित जन संवाद में बोल रहे थे.
दीपंकर ने कहा कि कहा जा रहा है नोटबंदी से नकली नोट खत्म हो जायेंगे. कोलकाता की संस्था इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट ने एक आकलन में बताया था कि देश में करीब 400 करोड़ नकली नोट प्रचलन में हैं. इसमें करीब 350 करोड़ के नोट 500 और एक हजार के हैं. क्या इसके खत्म हो जाने के बाद नकली नोट बनने बंद हो जायेंगे. अभी बाजार में दो हजार के नकली नोट आ गये हैं. संस्था सीएमइआइ ने नोटबंदी के पीछे के खर्च का आकलन किया है. उसने कहा है कि इस पर करीब एक लाख 28 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें नये नोट छापने, ट्रांसपोर्टिंग व बैंक कर्मियों को मिलने वाली अतिरिक्त राशि के खर्च शामिल हैं.
मुल्क लाइन हाजिर हो गया है : हुसैन कच्छी
समाजसेवी हुसैन कच्छी ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश को लाइन में खड़ा नहीं किया है, बल्कि पूरे देश को लाइन हाजिर कर दिया है. पूरी व्यवस्था को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह पूर्व से तैयार एक प्लाट का हिस्सा है. असल में पूरे देश में व्यापारियों के हाथों में सत्ता आ रही है. भारत में व्यापारियों ने मोदी को सत्ता में बैठाया. अमेरिका में एक व्यापारी जीत गया और पड़ोसी मुल्क का नेतृत्वकर्ता एक बड़ा व्यापारी है. इससे पूर्व माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने विषय प्रवेश कराया. मौके पर फादर स्टेन स्वामी ने भी विचार रखे. संचालन भुवनेश्वर केवट तथा धन्यवाद ज्ञापन नदीम खान ने किया.
अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा : ज्यां द्रेज
जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि काले धन के नाम पर की गयी नोटबंदी का कोई व्यापक आर्थिक असर नहीं पड़ने वाला है. इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. इस मुद्दे पर भारत सरकार ने जो आकलन किया है, वह ठीक नहीं है. देश में आरएसएस के लोग एक एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं. लोगों को अाधा-अधूरा और गलत जानकारी दे रहे हैं.
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