प्रतिबंधित प्लास्टिक और इससे निर्मित सामग्री पर नियमानुसार कड़ाई से रोक लगाई जाए: न्यायमूर्ति मिश्रा

प्रतिबंधित प्लास्टिक और इससे निर्मित सामग्री पर नियमानुसार कड़ाई से रोक लगाई जाए: न्यायमूर्ति मिश्रा
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रायपुर : राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन.जी.टी.), नई दिल्ली के निर्देश पर नगरीय ठोस अपशिष्ट नियम, 2016 के क्रियान्वयन के लिए बनी राज्य स्तरीय समिति की द्वितीय बैठक आज नवीन विश्राम गृह में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री धीरेन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
बैठक में विशेष सचिव, आवास एवं पर्यावरण विभाग श्रीमती संगीता पी., सचिव नगरीय प्रशासन विभाग श्रीमती अलरमेलमंगई डी, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव श्री आर.पी. तिवारी, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण भोपाल के प्रतिनिधि डॉ. आर.पी. मिश्रा उपस्थित थे। बैठक के प्रारंभ में सचिव, नगरीय प्रशासन विभाग श्रीमती अलरमेलमंगई डी. द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु की जा रही कार्रवाई की जानकारी दी गई।
बैठक में न्यायमूर्ति श्री मिश्रा ने निर्देश दिया कि प्लास्टिक की थैलियों तथा उससे सम्बधित अन्य सामग्री के उपयोग पर कड़ाई से रोक लगाई जाए। इन पर लगे प्रतिबंध के लिए नियमानुसार कार्यवाही की जाए। इस कार्य के लिए आम जनता को जागरूक किया जाए। साथ ही इनके विकल्प जैसे कपड़े, जूट के थैले, कागज के बैग उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके लिए पर्यावरण मंडल एवं नगरीय प्रशासन विभाग संयुक्त रूप से अभियान चलाए और नियमानुसार कड़ी कार्यवाही करें। इसी तारतम्य में न्यायमूर्ति श्री मिश्रा 18 अपै्रल को बिलासपुर शहर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर हो रहे कार्यों का निरीक्षण करेंगे।
उन्होेंने कहा कि नगरीय ठोस अपशिष्ट के अंबिकापुर मॉडल का प्रदेश के अन्य निकायों और शहरों में क्रियान्वयन किया जाए, वहां पर जो कार्य हुआ है, विशेषकर स्वयं सहायता समूहों की सफलता की कहानी अन्य नगरीय एवं पंचायत निकायों को बर्ताइं जाए ताकि वो भी प्रेरित हो सके। साथ ही निष्पादन की प्रक्रिया पर विभिन्न निकायों के मध्य प्रतियोगिता भी कराई जाए। श्री मिश्रा ने कहा कि शहर में निर्माणाधीन इमारतों निर्माण सामग्री सड़कों में बिखरी रहती है, इससे यातायात बाधित होता है और नालियां भी जाम हो जाती है, जिसके कारण लोगों को अनेक तरह की परेशानियां होती है। इसे रोकने के लिए समान की जब्ती, जुर्माना इत्यादि जैसे सख्त कदम उठाना चाहिए जिससे लोग नियम तोड़ने से बचे।
जीव चिकित्सा (मेडिकल वेस्ट) अपशिष्ट प्रबंधन पर चर्चा के दौरान न्यायमूर्ति श्री मिश्रा ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि अस्पताल से निकले हुए अपशिष्ट को किसी भी स्थिति में नगरीय अपशिष्ट से ना मिलाया जाए। समय-समय पर मंडल द्वारा की जांच की जाती रहे कि नियमानुसार अपशिष्टों का निष्पादन किया जा रहा है अथवा नहीं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को भी निर्देशित किया कि वे सभी अस्पतालों से अपशिष्ट के निष्पादन संबंधित नियमों का पालन कड़ाई से सुनिश्चित कराएं।
श्री आर.पी तिवारी सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जानकारी दी कि जीव चिकित्सा अपशिष्टों के उचित निष्पादन की निगरानी के लिए संभाग स्तर पर कमिश्नर की अध्यक्षता में एक मॉनिटरिंग समिति भी गठित की गई है। श्री तिवारी द्वारा स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया कि वे रायगढ़ एवं कोरबा में संचालित जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के लिए संयुक्त उपचार सुविधा के उन्नयन हेतु अतिशीघ्र प्रस्ताव पर्यावरण संरक्षण मंडल को भेजे।
बैठक में सार्वजनिक उपक्रम एनएमडीसी, एसईसीएल, बीएसपी, एनटीपीसी, सीएसईबी के अधिकारियों ने संबंधित आवासीय कॉलोनियों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर किए जा रहे उपायों की जानकारी दी। इस अवसर पर एनटीपीसी द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की गई और किए गए कार्यों का प्रतिवेदन देने को कहा गया। श्री मिश्रा ने एसईसीएल द्वारा नियमानुसार अपशिष्ट प्रबंधन न किए जाने पर नाराजगी जाहिर की और सदस्य सचिव को निर्देशित किया कि इन्हें नोटिस जारी किया जाए। श्री मिश्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। हम प्रयास करें कि इसे निरंतर बनाए रखे और अपशिष्ट प्रबंधन संबंधित सभी नियमों का कड़ाई से पालन करें।

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