देश को फिलहाल समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं: विधि आयोग

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नई दिल्ली :यूसीसी यानि समान नागरिक संहिता कि फिलहाल भारत में जरूरत नहीं है ऐसा विधि आयोग का कहना है.

आयोग ने इसके बजाय हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और पारसी पर्सनल लॉ में संशोधन कर लैंगिक असमानता खत्म करने की सिफारिश की है।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव, 2014 के दौरान अपने घोषणापत्र में यूसीसी लाने का वादा किया था। जुलाई, 2016 में कानून मंत्रालय ने विधि आयोग को यूसीसी की व्यावहारिकता और गुंजाइश पर अध्ययन करने को कहा था।

न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले विधि आयोग की ओर से कानून मंत्रालय को दिए परामर्श पत्र में कहा गया है कि यूसीसी की अभी जरूरत नहीं है।

संविधान सभा में हुई बहस से पता चला कि यूसीसी को लेकर सभा में भी सर्वसम्मति नहीं थी। कई का मानना था कि यूसीसी और पर्सनल लॉ सिस्टम साथ-साथ रहना चाहिए, जबकि कुछ का मानना था कि यूसीसी को पर्सनल लॉ की जगह लाया जाना चाहिए।

कुछ का यह भी मानना था कि यूसीसी का मतलब धर्म की आजादी को खत्म करना है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह कहते हुए यूसीसी पर बहस से ही इनकार कर दिया था कि यह उनके पर्सनल लॉ पर प्रहार है।

सुप्रीम कोर्ट में मामले लंबित होने का हवाला देते हुए विधि आयोग ने बहु-विवाह, निकाह-हलाल जैसे मामलों पर भी विचार करने से इनकार कर दिया था।

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