शहाबुद्दीन की जमानत :सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट चंदाबाबू और बिहार सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. चंदाबाबू और बिहार सरकार ने आरजेडी के बाहुबली विधायक शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सोमवार को शहाबुद्दीन सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेगा. बिहार में मारे गए तीन भाइयों के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदाबाबू ने याचिका ने अपनी याचिका में कहा कि शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने के बाद क्षेत्र में सनसनी और डर का माहौल बन गया है.
गौरतलब है कि वर्ष 2004 में दो भाइयों गिरीश और सतीश की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को दिसंबर 2015 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. मामले में इकलौते गवाह मृतकों के भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पटना हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश कानून का मजाक उड़ाना है, क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी अनदेखा कर दिया कि शहाबुद्दीन पर 13 मई 2016 को सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का भी आरोप है. इसके अलावा 18 मई 2016 को सिवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से 40 मोबाइल भी बरामद हुए.
बढ़ने वाली हैं शहाबुदीन की मुश्किलें
प्रशांत भूषण ने तीन भाइयों की मां की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तेज़ाब कांड में मारे गए दोनों भाइयों के मामले में शहाबुदीन को हाईकोर्ट से मिली ज़मानत को चुनोती दी है. याचिका में मांग की गई है कि हाईकोर्ट के जमानत के आदेश पर रोक लगाई जाए. सोमवार को इस याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. दरअसल इसी साल मई में सीवान के बहुचर्चित तेजाब कांड में बाहुबली शहाबुद्दीन को जमानत मिल गई थी. पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन को पटना हाईकोर्ट ने चर्चित तेजाब कांड में जमानत दी थी.
कलावती की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि शहाबुदीन जैसे हिस्ट्री शीटर को जमानत देने इंसाफ का मख़ौल उड़ान है. अगर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट रोक नहीं लगता तो ये इस मामले सहित दूसरे मामलों के लिए कभी न सही हो पाने वाला नुकसान होगा. इससे पहले भी ये देखा गया है कि गवाह शहाबुदीन से डरे हुए थे और वो उसके खिलाफ गवाही नहीं देना चाहते थे. इसी वजह से गवाह आने बयान से पलट जा रहे है.
याचिकाकर्ता और उनका परिवार शहाबुदीन को जमानत मिलने के बाद डरे हुए है. मामले की सुनवाई के दौरान एक मात्र गवाह राजीव रोशन जो चश्मदीद गवाह था उसको गवाही देने से पहले मार दिया गया. इस मामले में जिस जज ने फैसला सुनाया था उन्होंने शहाबुदीन के रिहाई के दो दिन बाद हीअपनी सुरक्षा के मद्देनजर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिख अपना तबादला करा लिया था.