बैंकों ने हाउसिंग लाेन किया बंद

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रांची: झारखंड सरकार की तरफ से जमीन संबंधी दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन को लेकर यह स्थिति उत्पन्न हुई है. रांची में डिजिटाइजेशन के क्रम में कई गड़बड़ियां भी हुई हैं. रांची में मास्टर डाटा भी मार्च 2016 में डिलीट हो गया था. इसमें से कितना डाटा रिकवर हुआ है. इसके आंकड़े भी सरकार के पास नहीं हैं.

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के महाप्रबंधक सुदिप्तो मुखर्जी ने इस संबंध में बताया कि झारखंड में जमीन के दस्तावेज सही नहीं हैं. इस कारण बैंकों ने फिलहाल आवास ऋण देने पर रोक लगा रखी है. बैंकों की तरफ से आवास ऋण देना प्राथमिकता भी नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक जमीन के दस्तावेज सही नहीं होंगे, तब तक कर्ज लेनेवालों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई बैंक आवास ऋण मुहैया भी करा रहे हैं, तो यह उनका निजी जोखिम है.

राज्य में बैंकों की 2500 से ज्यादा शाखाएं

झारखंड में सभी बैंकों की 2500 से अधिक शाखाएं हैं. इन शाखाओं से रिटेल लोन, एजुकेशन लोन, प्रायोरिटी सेक्टर लोन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं. पर आवास ऋण पर बैंकरों का फोकस कम है. राज्य भर के बैंकरों की तरफ से 30 सितंबर तक 1.02 लाख करोड़ के कर्ज दिये गये हैं. मुद्रा ऋण के तहत 2127 करोड़, स्टैंड अप इंडिया के तहत 28.49 करोड़ रुपये का कर्ज दिया जा चुका है.

आवास ऋण लेने की प्रक्रिया

किसी भी लाभुक को आवास ऋण लेने के लिए जमीन के दस्तावेज, दाखिल-खारिज के दस्तावेज, अप-टू-डेट लगान रसीद, निर्माण होनेवाले मकान का स्वीकृत नक्शा देना जरूरी है. इसके बाद बैंक अपने एडवोकेट से जमीन पर रिपोर्ट और अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगते हैं. एडवोकेट की रिपोर्ट आने के बाद ही लाभुकों को कुल कर्ज में से 85 प्रतिशत तक कर्ज लेने की स्वीकृति दी जाती है.

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