शिक्षकों को तीस साल की सेवा पर मिलेगा तीसरा समयमान वेतन

शिक्षकों को तीस साल की सेवा पर मिलेगा तीसरा समयमान वेतन
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भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शिक्षकों की होने वाली भर्ती में अतिथि शिक्षकों के लिये 25 प्रतिशत पद आरक्षित रखे जाएंगे। उनकी अलग परीक्षा होगी। शिक्षकों की भर्ती में खेल शिक्षकों को शामिल किया जाएगा। विद्यालयों में खेल का पीरियड अनिवार्य होगा। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए आयोग बनाया जाएगा। तीस वर्ष का सेवाकाल पूरे करने वाले शिक्षकों को तीसरा समयमान वेतनमान दिया जाएगा। वरिष्ठता के आधार पर पद नाम में परिवर्तन किया जाएगा। शिक्षकों की वर्गीकृत व्यवस्था को एकात्म किया जाएगा। श्री चौहान ने आज राज्य-स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए ये घोषणाएं की। यह समारोह लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा मॉडल स्कूल, टी.टी. नगर में आयोजित किया गया था।

गुरूजनों का योगदान अतुलनीय
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गुरुजनों का योगदान अतुलनीय है। शिष्यों को शिक्षक द्वारा दिखाई गई सही राह जितनी जिदंगी बना सकती है, गलत राह उतनी ही बिगाड़ भी सकती है। शिक्षक राष्ट्र निर्माण की रीढ़ हैं। इसलिये शिक्षकों का चयन सावधानी से किया जाए। शिक्षण कला है जिसमें अंकों का नहीं पढ़ाने की तड़प का महत्व है। शिक्षक, शिक्षा को मिशन बना लेंगे, तब सुविधाओं, वेतन आदि का ध्यान नहीं आएगा, ऐसे शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता का निर्माण करते हैं। उन्होंने शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुविधा विहीन दूरस्थ अंचलों के शिक्षक चमत्कार कर रहे हैं। मंडला, डिण्डोरी, धार जिलों और बैगा जनजाति के बच्चे आई.आई.टी., आई.आई.एम. में चयनित हो रहे हैं। सरकार द्वारा लेपटॉप दिये जाने की योजना में भी आधे से ज्यादा सरकारी स्कूलों के बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन जीने की कला शिक्षक सिखाता है। शिक्षक नया जीवन देता है। गुरु की महिमा से अनेकों ग्रंथ भरे हैं। उन्होंने एवजी शिक्षक की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी इक्का-दुक्का घटनाओं से पूरा शिक्षक समाज बदनाम होता है। मुख्यमंत्री ने आव्हान किया कि गलत लोगों को स्वयं समाज से बाहर कर दें। नये भारत निर्माण के अनुरूप भावी पीढ़ी के निर्माण के लिये प्रतिबद्ध हों। शिक्षकों की सम्मानजनक जिन्दगी का पूरा इंतजाम किया जाएगा। सरकार ने शिक्षा के लिये 20 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।

शिक्षा व्यवस्था में बदलाव
मुख्यमंत्री ने शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत बताते हुए कहा कि शिक्षा राज्याश्रित नहीं होना चाहिये। समाज आधारित शिक्षा व्यवस्था हो। शिक्षक किसी पर आश्रित नहीं रहें। उन्होंने बदलाव के लिये चिंतन की जरूरत बताते हुए कहा कि प्रदेश में इस दिशा में पहल की जाए। ऐसी शिक्षा व्यवस्था हो, जिसमें सरकारी धनाभाव नहीं शिक्षा समाज की जिम्मेदारी हो। शिक्षा व्यवस्था बनाना राजनेता और सरकार का काम नहीं हो। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के अवमूल्यन के प्रसंग का उल्लेख करते हुए शिक्षा कर्मी, 500 के मानदेय पर गुरुजी जैसी अस्त-व्यस्त स्थिति उत्तराधिकार में मिलने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि इसमें निरंतर सुधार के प्रयास हो रहे हैं। आज शिक्षकों को 33 हजार रुपये से लेकर 43 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलने लगा है। उन्होंने प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली का विवरण देते हुए कहा कि राज्याश्रय वाली शिक्षा में कौरवों-पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य गरीब एकलव्य का अंगूठा मांग लेते थे जबकि समाज आधारित व्यवस्था में गुरू संदीपन के उज्जैन आश्रम में कृष्ण और सुदामा को एक समान शिक्षा मिलती थी। उन्होंने समुदाय आधारित स्कूलों की उत्कृष्ट व्यवस्था का उदाहरण देते हुए चिंतन की जरूरत बताई।

विद्यालय की यादों का स्मरण किया
श्री चौहान ने कहा कि वे कार्यक्रम में पूर्व छात्र के रूप में शामिल हो रहे है, जहाँ उन्होंने 9, 10 और 11वीं कक्षा की शिक्षा प्राप्त की। इसी विद्यालय से नेतृत्व का गुण उन्हें मिला। उन्होंने छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान हेडबॉय और हेड गर्ल की उपमाएँ उन्हें आकर्षक नहीं लगी। उन्होंने पूर्व छात्रों, पूर्व शिक्षकों, श्री रतनचंद जैन, शैलबाला मैडम, कश्यप सर, कौशिक मैडम, तैलंग सर, अरोरा सर, बारी सर का स्मरण करते हुए कहा कि इन्हीं शिक्षकों ने उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया। उन्होंने शिक्षकों के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा का उल्लेख करते हुए विद्यालय की खेलकूद व्यवस्थाओं और स्टडी टूर की जानकारी ली और गोवा-मुम्बई के टूर की घटनाओं के दौरान बस वाहन चालक रफीक भाई और जमील भाई का स्मरण किया। उनको बताया गया कि बाघा बार्डर पर विद्यार्थियों का दल भेजा जा रहा है।

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