अंत्योदय छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य: डॉ. रमन सिंह

अंत्योदय छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य: डॉ. रमन सिंह
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रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा – पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और समाज के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों की चिंता करते हुए उनके जीवन में परिवर्तन लाने दुनिया को अंत्योदय का विचार दिया।

डॉ. सिंह ने कहा – अंत्योदय छत्तीसगढ़ सरकार का भी लक्ष्य है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के लोगों जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अंत्योदय की अवधारण के अनुरूप खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा कई योजनाएं शुरू की हैं।
मुख्यमंत्री आज शाम यहां नवीन विश्राम के सभाकक्ष में ‘युगऋषि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जीवन यात्रा और विचारों की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित व्याख्यान माला को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।

विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक और चिंतक डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन-दर्शन और उनके विचारों की व्याख्या करते हुए अपने विचार प्रकट किए। यह कार्यक्रम राज्य शासन द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत आयोजित किया गया।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. महेशचन्द्र शर्मा को शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
डॉ. रमन सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा – पंडित दीनदयाल ने दुनिया को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सिद्धांत दिया, जो व्यक्ति को परिवार,समाज, देश-दुनिया और प्रकृति से जोड़ता है।

दीनदयाल जी मानते थे कि देश की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों के अनुरूप देश के लोकतंत्र का संचालन किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि पंडित दीनदयाल गरीब परिवार में पैदा हुए। बचपन में माता-पिता के गुजर जाने के बाद विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी शिक्षा पूरी करते हुए उन्होंने अपना पूरा जीवन देश सेवा के लिये समर्पित कर दिया।

मुख्य वक्ता दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा – पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने आर्थिक लोकतंत्र का सिद्धांत दिया। उनका कहना था कि जिस प्रकार प्रत्येक वयस्क नागरिक को मतदान का अधिकार मिलता है, ठीक उसी तरह लोगों को कार्य करने का भी मिलना चाहिए। डॉ. शर्मा ने कहा – जो व्यवस्था आने वाली पीढ़ी के लिये कार्य के अवसरों को कम करती है वह व्यवस्था कारगर नहीं होती।

आर्थिक लोकतंत्र  हासिल करने के लिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने विकेंद्रीकरण एवं स्वदेशी को जरूरी माना। उनका मानना था कि सभी देश अपनी स्वदेशी जीवन शैली और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएं। डॉ. शर्मा ने कहा – पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद का सिद्धांत दिया। पंडित जी का कहना था कि देश को वर्गाें में नहीं बल्कि एकात्मकता में पिरोकर देखना चाहिये।

दुनिया में सब चीजें एक दूसरे से परस्पर जुड़ी हुई हैं। उपाध्याय जी का मानना था कि गरीबों को रोटी देने के बजाए उनको रोटी पैदा करने की ताकत देना जरूरी है। लोगों को सक्षम बनाना चाहिए, ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकंे। पं    डित दीनदयाल उपाध्याय मानते थे कि एकात्म मानववाद संस्कारों से आ सकता है। समाज में सत्ता को निर्देश देने की ताकत रखना चाहिये।

समाज जब तक राज्य पर निर्भर रहेगा, तब तक परावलंबी रहेगा। जो लोग सार्वजनिक जीवन में काम कर रहे हैं उन्हें लोक शिक्षण का कार्य करना चाहिये। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने लोकमत के परिष्कार पर बल दिया। उनका मानना था कि सिद्धांतविहीन मतदान सिद्धांतविहीन राजनीति का जनक होता है।

इसलिये लोगों को शिक्षित करना सामाजिक तथा राजनीतिक कार्यकर्ताओं का दायित्व होना चाहिए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री अजय चंद्राकर भी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने स्वागत भाषण दिया और जनसंपर्क सचिव श्री संतोष मिश्रा ने कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। संचालक जनसम्पर्क श्री राजेश सुकुमार टोप्पो ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री शशांक शर्मा ने किया।

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