औरंगजेब से भी बदतर है मोदी सरकार का शासन, कपिल सिब्बल की तल्ख टिप्पणी

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नई दिल्ली: बुधवार को बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने केंद्र सरकार(Union Government) की तुलना मुगल शासक औरंगजेब के शासन से कर दी। सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार का शासन औरंगजेब से भी बदतर है। पेट्रोल-डीजल की ताजा कीमतों (Fuel Prices) पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि औरंगजेब ने भी जजिया कर से गरीबों और वंचितों को राहत दी थी जबकि, आज की सरकार वर्ष 2014 के मुकाबले पेट्रोल ओर डीजल पर क्रमश: 203 और 530 प्रतिशत अधिक उत्पाद कर वसूल रही है।

आम बजट जमीनी सच्चाई से दूर है-सिब्बल
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने बजट 2022(Budget 2022) पर बोलते हुए कहा कि, आम बजट जमीनी सच्चाई से दूर है और इसमें सरकार की दूरदृष्टि की कमी झलकती है और लंबे समय के लिए कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट में डिजिटल, ग्रीन, जलवायु, आत्मनिर्भर, मेड इन इंडिया और व्यवसाय की सुगमता जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन बेरोजगारी, गरीबी, खाद्य सुरक्षा, मजदूर, स्वास्थ्य, कल्याण, महिला और युवाओं का उल्लेख नहीं है। यह बजट गरीब व मध्यम वर्ग के लिए नहीं बल्कि दो प्रतिशत लोगों के लिए है।

अमृत काल नहीं ये राहु काल है- कपिल सिब्बल
ने कहा कि, आप बात कर रहे हो अमृत काल की और मैं तो 2014 से अब तक राहु काल ही देख रहा हूं और फिर असलियत क्या है। प्रधानमंत्री ने टुकड़े टुकड़े गैंग की बात की तो मैं अचंभित हुआ जो सभ्यता के टुकड़े-टुकड़े करता हो, जो इतिहास के टुकड़े-टुकड़े करता हो, जो संविधान के टुकड़े टुकड़े करता है और जो भाईचारा के टुकड़े टुकड़े करता है, वह टुकड़े-टुकड़े गैंग का लीडर है।

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा था कि विभाजनकारी मानसिकता एवं अंग्रेजों की ‘‘फूट डालो, राज करो’’ की नीति अपनाकर कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग की लीडर बन गई है।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी बरसे
पेट्रोल व डीजल के मुल्यों में हुई वुद्धि का उल्लेख करते हुए भी सिब्बल ने केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) के शासनकाल में पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर थी और उस समय उत्पाद कर 9.2 रुपये प्रति लीटर था जबकि 2022 में पेट्रोल की कीमत 95 रुपये प्रति लीटर हो गई और इस पर उत्पाद शुल्क 27 रुपये प्रति लीटर वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के मुकाबले उत्पाद कर में 203 प्रतिशत की वृद्धि की गई।

इसी प्रकार, सिब्बल ने कहा कि डीजल की कीमत 2014 में जहां 55 रुपये प्रति लीटर थी और उस पर उत्पाद कर 3.46 रुपये प्रति लीटर थी जबकि आज पेट्रोल की कीमत 86 रुपये प्रति लीटर है ओर यह 530 प्रतिशत की वृद्धि है।

‘औरंगजेब से शासनकाल से भी बदतर है आज की सरकार का शासन’
इतिहास का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा कि अहमद शाह ने 1414 में सबसे पहले जजिया कर लगाया था और उसके बाद अकबर आया तो उसने हटा दिया लेकिन जब औरंगजेब आया तो उसने फिर से जजिया कर लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने वंचित लोगों, बेरोजगारों और रक्षा में लगे लोगों पर जजिया कर नहीं लगाया। सिब्बल ने आगे कहा कि आप बात करते हो औरंगजेब की और यह तो औरंगजेब से भी बदतर बात है। आपने सब पर लागू कर दिया और वह भी 530 और 203 प्रतिशत।’’

सिब्बल ने कहा कि जब देश के गरीब या मध्यम श्रेणी की जनता 95 रुपया प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत चुकाती है उसे क्या तकलीफ होती होगी, यह इस सरकार को समझ में नहीं आता है। उन्होंने कहा, ‘‘बड़े-बड़े लोगों को छोड़ दीजिए, जिनके पास सुविधाएं नहीं है उनके बारे में सोचिए। जब तक आप लोगों के हाथों में पैसे नहीं देंगे और वे खर्च नहीं करेंगे तब तक अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ेगी। इनकी शक्ति, खरीद की शक्ति बढ़ानी पड़ेगी। प्रधानमंत्री को अमृत काल की बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि ना वह रहेंगे, ना हम रहेंगे ना आपके रहनुमा रहेंगे। ना नफरत के बयान रहेंगे।’’

बेरोजगारी वाले मुद्दे पर वार
बेरोजगारी के मुद्दे (Unemployment India) पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए सिब्बल ने कहा चीन में बेरोजगारी की दर 5 प्रतिशत, बांग्लादेश में 5.3 प्रतिशत, पाकिस्तान 4.5 प्रतिशत और श्रीलंका 4.8 जबकि भारत में यह दर 7.51 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्मला सीतारमण जेएनयू जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ी हैं। उनके पास हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की कोई डिग्री नहीं है, जो चिदम्बरम (कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री) जी के पास थी। लेकिन मैं कह सकता हूं कि वैश्विक वित्तीय संकट के समय कांग्रेस ने जो बजट पेश किया था, उससे 100 गुना बेहतर बजट निर्मला सीतारमण ने पेश किया है। वह भी प्रतिकूल परिस्थितियों में।’’

पीएम पर निशाना
कपिल सिब्बल ने चर्चा के दौरान कहा कि मोदी ने वर्ष 2017-2018 में आए स्पेनिश फ्लू (Spanish Flu) का उल्लेख किया और कहा कि उस समय डेढ़ करोड़ लोग मारे गए थे जबकि भारत की आबादी 30 करोड़ थी। उन्होंने कोरोना काल में अमेरिका, ब्राजील और ब्रिटेन सहित विश्व के कई देशों की आबादी के अनुपात में हुई मौतों की संख्या बताते हुए कहा, ‘‘अगर नरेंद्र मोदी जी का नेतृत्व नहीं होता और फ्रंटलाइन वर्कर, डॉक्टर और नर्स का सहयोग नहीं होता तो पचास लाख से ज्यादा लोग मर गए होते।’’

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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