हामिद अंसारी के बेतुके बयान पर विदेश मंत्रालय का रिऐक्‍शन, कहा- किसी के सर्टिफिकेट की नहीं जरूरत

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नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) और अमेरिका के चार सांसदों ने एक कार्यक्रम के दौरान भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता जताई थी। इस पर विदेश मंत्रालय (MEA reply on Hamid Ansari remarks) ने शुक्रवार को प्रति‍क्रिया दी। उसने कहा कि भारत एक जीवंत और मजबूत लोकतंत्र है। उसे किसी अन्य के प्रमाणपत्र की आवश्यक्ता नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi on Hamid Ansari) ने सप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही।

(IAMC) ने बुधवार को एक परिचर्चा सत्र का आयोजिन किया था। इस दौरान पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और अमेरिका के चार सांसदों ने भारत में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी। बागची ने इसी को लेकर जवाब दिया। इसे लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में बागची ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं के गत इतिहास और इसके प्रतिभागियों के पूर्वाग्रहों और राजनीतिक सरोकारों से सभी अच्छी तरह परिचित हैं।

बागची ने कहा, ‘हमने इस कार्यक्रम के बारे में आई खबर को देखा है। भारत एक जीवंत एवं मजबूत लोकतंत्र है । उसे किसी अन्य के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि यह दावा कि अन्य को हमारे संविधान की सुरक्षा करने की जरूरत है, ‘धृष्टतापूर्ण और बेतुका है।’

प्रवक्ता ने कहा, ‘कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं के गत इतिहास और इसके प्रतिभागियों के पूर्वग्राहों एवं राजनीतिक हितों के बारे में सभी को जानकारी है।’

हामिद अंसारी ने क्‍या कहा था?
इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था, ‘हाल के वर्षो में हमने उन प्रवृतियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती है और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नई और काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती है।’ उन्होंने कहा था कि यह असहिष्णुता को हवा देती है।

अमेरिकी सांसद ने क्‍या की थी टिप्‍पणी?
डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद एड मार्के ने कहा था, ‘एक ऐसा माहौल बना है, जहां भेदभाव और हिंसा जड़ पकड़ सकती है। हाल के वर्षों में हमने ऑनलाइन नफरत भरे भाषणों और नफरती कृत्यों में बढ़ोतरी देखी है। इनमें मस्जिदों में तोड़फोड़, गिरजाघरों को जलाना और सांप्रदायिक हिंसा भी शामिल है।’ मार्के का भारत विरोधी रुख अपनाने का इतिहास रहा है। उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले शासन के दौरान भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते का भी विरोध किया था।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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