एयरफोर्स के लिए हॉक एयरक्राफ्ट 29 से घटाकर 20 क्यों? पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने पूछा सवाल

एयरफोर्स के लिए हॉक एयरक्राफ्ट 29 से घटाकर 20 क्यों? पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने पूछा सवाल
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नई दिल्ली
पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने रक्षा मंत्रालय से पूछा है कि एयरफोर्स के लिए 29 हॉक एयरक्राफ्ट लेने की योजना थी इसे किस वजह से और किन मजबूरी में घटाकर 20 किया गया है। साथ ही स्टैंडिंग कमेटी ने यह भी पूछा है कि जब वेंडर ने जरूरी शर्तें पूरी नहीं की तो उसे कॉस्ट निगोसिएशन (मूल्य को लेकर मोलभाव) के लिए कैसे बुलाया गया। दरअसल एयरफोर्स को हॉक एयरक्राफ्ट लेने हैं और स्टैंडिंग कमिटी के सवालों के जवाब में रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि 20 अतिरिक्त हॉक एयरक्राफ्ट लेने की प्रकिया ज्यादा कीमत और इंजन लिफ्टिंग इश्यू (इंजन की भार उठाने की क्षमता) की वजह से अटक गई है।

रक्षा मामलों की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने इंडियन एयरफोर्स के ट्रेनर एयरक्राप्ट की जानकारी मांगी थी। एयरफोर्स के पास 260 ट्रेनर एयरक्राफ्ट हैं जबकि सेंग्शन्ड स्ट्रैंथ 388 ट्रेनर एयरक्राफ्ट की है। कमेटी को बताया गया कि एयरफोर्स के पास 75 पीसी-7 एमके-II बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट (BTA), 86 किरन एमके-I/IA इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर (IJT), 99 हॉक एमके-132 एडवांस्ड जेट ट्रेनर (AJT) और 42 किरन एमके-II हैं (जिन्हें फिलहाल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा)।

कमेटी को बताया गया था कि पीसी-7 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट और हॉक- 132 एडवांस जेट ट्रेनर एयरक्राफ्ट सिमुलेटर लिए गए हैं। हॉक एमके-132 एयरक्राफ्ट के लिए दो ट्विन डोम सिमुलेटर लेने की प्रक्रिया चल रही है और इसका अभी तकनीकी मूल्यांकन चल रहा है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से कमेटी को बताया गया था कि 29 अतिरिक्त हॉक एयरक्राफ्ट लेने का केस भी शुरू किया गया है। अभी यह केस कॉन्ट्रैक्ट निगोसिएशन कमेटी (सीएनसी) के पास है। जिसके बाद स्टैंडिंग कमेटी ने सिफारिश की कि सभी जरूरी कदम उठाकर यह खरीद वक्त पर कर ली जाए।

कमेटी की सिफारिश के बाद अब जब रक्षा मंत्रालय की तरफ से एक्शन टेकन रिपोर्ट दी गई तो उसमें बताया गया कि एयरफोर्स के पास अभी 99 हॉक एमके-132 एडवांस्ड जेट ट्रेनर एयरक्राफ्ट सर्विस में हैं। हॉक एमके-132 एयरक्राफ्ट के लिए दो ट्विन डोम सिमुलेटर की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही बताया गया कि 20 अतिरिक्त हॉक एयरक्राफ्ट लेने की प्रक्रिया ज्यादा कीमत और इंजन लिफ्टिंग इश्यू की वजह से अटक गई है।

कमेटी ने कहा कि वह इस इस तथ्य से बेखबर नहीं है कि एक वेंडर को प्राइस निगोसिएशन के तब बुलाया जाता है जब वह आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इंटरेस्ट) में मौजूद शर्तों का पालन करता है, उसका टेक्निकल, स्टाफ और कर्मिशनल मूल्यांकन हो गया हो। साथ ही फील्ड मूल्यांकन ट्रायल हो गया हो ताकि यह पता चले कि वह सभी जरूरी पैरामीटर पूरा करता हैं। साथ ही दूसरे बिडर से कीमत को लेकर तुलना करने के बाद लोएस्ट बिडर को आमंत्रित किया जाता है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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