पहले बेअदबी अब ब्लास्ट….क्या ये पंजाब में बड़ी साजिश की आहट है ?

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चंडीगढ़
पंजाब चुनावी मुहाने पर खड़ा है। लेकिन उससे पहले सूबे में जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे कई सवाल उठ रहे हैं। पहले स्वर्ण मंदिर में बेअदबी की कोशिश और फिर युवक की लिंचिंग की घटना सामने आई। इसके ठीक अगले दिन कपूरथला में निशान साहिब की बेअदबी का प्रयास करने वाले को भीड़ ने मार डाला। अब लुधियाना कोर्ट परिसर में ब्लास्ट होने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव से पहले पंजाब का माहौल खराब किया जा रहा है। क्या सरहदी सूबे की शांति भंग करने की बड़ा साजिश रची जा रही है?

नापाक मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे: चन्नी
पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने लुधियाना कोर्ट परिसर में धमाके को राष्ट्र विरोधी तत्वों की करतूत बताया है। सीएम चन्नी ने कहा, ‘लुधियाना ब्लास्ट कायराना हरकत है। हम नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। असामाजिक तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है। विधानसभा चुनाव पास होने की वजह से कुछ एंटी नेशनल तत्व ऐसा काम कर रहे हैं। सरकार पूरी तरह अलर्ट है। जो भी इस मामले में दोषी पाए जाएंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।’ इस बीच लुधियाना ब्लास्ट की एनआईए जांच का आदेश दे दिया गया है।

वोटों के ध्रुवीकरण के लिए हुआ धमाका: सिद्धू
इस बीच पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है, ‘इस बात में कहीं कोई शक नहीं है कि लुधियाना कोर्ट में हुआ ब्लास्ट पंजाब में कानून व्यवस्था बिगाड़ने और शांति को भंग करने के लिए सिलसिलेवार तरीके से की गई गतिविधि का हिस्सा है। ये चुनाव के समय ही क्यों होता है? यह पौने पांच साल बीतने के बाद ही क्यों होता है? जिन लोगों ने पंजाब को बेच दिया, गिरवी रख दिया। अपनी जान बचाने के लिए फिरकापरस्त ताकतों से मिले रहे। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि आप वोटों की राजनीति का ध्रुवीकरण नहीं कर सकोगे। पंजाब एक है, एक था एक रहेगा। वोटों की ओछी राजनीति के लिए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई। एक खास समुदाय के ध्रुवीकरण के लिए ऐसी कोशिश की गई है। जिन लोगों ने जान गंवाई है उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना और घायल जल्द स्वस्थ हों यही मेरी प्रार्थना है।’

‘पंजाब के चुनाव को दूसरा रंग देने की कोशिश’
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस का कहना है, ‘पंजाब का माहौल विधानसभा चुनाव से पहले खराब करने की पूरी कोशिश हो रही है। बेअदबी का मुद्दा भी आ रहा है। पंजाब का चुनाव चूंकि कृषि कानूनों को लेकर लंबे चले किसान आंदोलन और पहली बार दलित सीएम के बनने से दलित चेतना में आए उभार के इर्द-गिर्द सिमट रहा था। ऐसे में पंजाब के चुनाव को दूसरा रंग देने की पूरी कोशिश की जा रही है। अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से हटाए जाने के कुछ पहले से लेकर और बाद तक अलगाववाद, राष्ट्रवाद और सीमावर्ती राज्य होने की बात की। हालांकि देखा जाए तो भारत में सरहदी राज्य कई हैं। पंजाब से ज्यादा बड़ी सीमा राजस्थान की मिलती है।’

‘कुछ लोग पंजाब की शांति भंग करना चाहते हैं’
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘पहले बेअदबी, अब ब्लास्ट। कुछ लोग पंजाब की शांति भंग करना चाहते हैं। पंजाब के 3 करोड़ लोग इनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। हमें एक दूसरे का हाथ पकड़ कर रखना है। खबर सुनकर दुख हुआ, मृतकों के परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं एवं सभी घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’

‘अलगाववाद-राष्ट्रवाद का मुद्दा हो सकता है आगे’
क्या लुधियाना में ब्लास्ट के पीछे राष्ट्र विरोधी तत्वों की साजिश हो सकती है? इस पर वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, ‘इस तरह के तत्व तो पंजाब में मौजूद हैं। सीएम चन्नी का इशारा भी गलत नहीं है। हो सकता है कि पंजाब के चुनाव में खेती-किसानी को पीछे छोड़कर अलगाववाद और राष्ट्रवाद के मुद्दों को मुख्य रूप में लाया जाए। खेती-किसानी और पंजाब के मूलभूत मुद्दों पर इस वक्त बचाव की मुद्रा में दो ही पार्टियां हैं। शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी।’

‘पंजाब का चुनाव दूसरी दिशा में ले जाने की कोशिश’
हाल की घटनाएं चुनाव पर कितना असर डाल सकती हैं, इस पर वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, ‘पंजाब को लेकर चुनाव से पहले ही इस तरह की कोशिश शुरू हो गई थी। पंजाब के चुनाव को किसी दूसरी पिच पर ले जाने की पूरी कोशिश हो रही है। वो मुद्दे जो जनता से सीधे ताल्लुक ना रखते हों, उनका उभार हो रहा है। धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी का मामला हो या आज जो ब्लास्ट हुआ है, इसके तार कहीं न कहीं पंजाब के चुनाव से जुड़ते हैं। इसके जरिए पंजाब के चुनाव को किसी और दिशा में ले जाने की कोशिश जारी है।’

‘पंजाब की सियासत में मोड़ दिखने शुरू हो गए हैं’
पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वाले एक सियासी विश्लेषक ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया, ‘अमरिंदर सिंह के साथ आने से हाल ही में बीजेपी को वहां ताकत मिली है। पहली बार पंजाब में बीजेपी बड़ी ताकत के रूप में चुनाव लड़ने जा रही है। अब तक वह अकाली दल की पिछलग्गू होकर एक जूनियर पार्टनर के तौर पर चुनाव लड़ती थी। बहुत सी सीटें ऐसी हैं जहां लंबे समय से बीजेपी चुनाव ही नहीं लड़ी है। वह सीटें अकाली दल के हिस्से में रहती थीं। पंजाब की राजनीति में कई तरह के मोड़ दिखने शुरू हो गए हैं। आने वाले समय में हो सकता है इस तरह की घटनाएं तेज हों और पंजाब का जो मुख्य मुद्दा खेती-किसानी, बेरोजगारी उससे ध्यान भटकाया जा सके।’

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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