ओमीक्रॉन वायरस की अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने में जुटा पूरे विश्व का मेडिकल साइंस, डरना नहीं संभलना है जरुरी

ओमीक्रॉन वायरस की अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने में जुटा पूरे विश्व का मेडिकल साइंस, डरना नहीं संभलना है जरुरी
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नई दिल्ली
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट (Omicron) ने एक बार फिर पूरे विश्व के मेडिकल साइंस को चुनौती दी है। भारत सहित विश्व के तमाम देशों में जिंदगी पटरी पर लौट ही रही थीं कि इस वायरस के आने से फिर से एक बार फिर चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। ओमीक्रोन को बाकी दूसरे वेरिएंट से खतरनाक बताया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ (WHO Omicron Guidelines) ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह काफी तेजी से और बड़ी संख्या में म्यूटेट होने वाला वेरिएंट है। उसने बताया है कि इस वेरिएंट के कई म्यूटेशन चिंता पैदा करने वाले हैं। इसलिए शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर WHO ने कहा है कि इस म्यूटेशन के चलते संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। आइये जानते हैं इस वायरस के बारे में हर जानकारी…

कहां मिला सबसे पहले इसका केसओमीक्रॉन वैरिएंट पहली बार 11 नवंबर को बोत्सवाना में मिला। उसके बाद हॉन्गकॉन्ग, इजरायल, बेल्जियम में मिला। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रो. दीनान पिल्लई के मुताबिक इसके फैलने की रफ्तार और ज्यादा हो सकती है। इस खतरे को देखते हुए भारत महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों ने सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। पीएम मोदी ने भी इस नए वायरस से बचने के लिए लोगों से कोरोना गाइडलाइंस को फॉलो करने की बात कही है।

ओमीक्रॉन के बारे में अब तक क्या पता चलाइस वायरस को लेकर तमाम अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं। लेकिन सबसे पहला सवाल ये है कि आखिरकार ये वायरस कहां से आया। लंदन स्थित यूसीएल जेनेटिक्स इंस्टीट्यूट के एक वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना का यह वेरिएंट पहली बार कहां से आया, यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. संभवतः किसी HIV/AIDS मरीज में इम्यूनो कंप्रोमाइज्ड शख्स से क्रोनिक इन्फेक्शन हुआ हो। अफ्रीकी देशों में इसके कुछ मामले मिले हैं। यह वेरिएंट बेहद तेजी से 30 बार म्यूटेट होता है, जो ज्यादा टेंशन की वजह है। अल्फा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट की तुलना में यह खतरनाक तरीके से मरीजों को अपनी जद में लेता है।

अभी बहुत ज्यादा नहीं पता इसके बारे मेंदक्षिण अफ्रीका सहित बोत्सवाना और हांगकांग में पाए गए नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर भारतीय एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी नए वैरिएंट पर ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन अगर यह वैक्सीनेशन से बनने वाली एंटीबॉडीज को बायपास करता है तो गंभीर हो सकता है। यह देखने की जरूरत है कि नया वैरिएंट किसी और तरह की बीमारी या समस्या तो नहीं दे रहा है। इसका पता अगले 7 से 10 दिन में चलेगा। लोगों को वही नियम अपनाने हैं जो कोरोना से बचने के लिए अब तक अपनाते आए हैं।

सबसे खतरनाक है ये वेरियंट- WHOवर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ कन्सर्न’ माना है और पिछले सभी वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलने वाला बताया है। उन लोगों को भी यह संक्रमित कर सकता है जो पहले संक्रमित हो चुके हैं या वैक्सीन लगवा चुके हैं। हो सकता है कि स्थिति गंभीर भी कर दे। साइंटिस्ट भी अभी इस बात को लेकर दुविधा में है कि इस नए वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन कितना असर करेगी। ओमीक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा म्यूटेशन्स हैं और ACE2 रिसेप्टर, जिसके रास्ते संक्रमण व्यक्ति को संक्रमित करता है, उसमें 10 से ज्यादा म्यूटेशन्स हैं। डेल्टा वैरिएंट के महज 2 म्यूटेशन थे। कम म्यूटेशन के बाद भी डेल्टा ने सेकंड वेव के दौरान कहर बरपाया था। ऐसे में ओमीक्रॉन 10 वैरिएंट के साथ स्थिति को और खराब कर सकता है।

यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका में रिसर्चयूरोप, अमेरिका और अफ्रीका की लैबों में यह देखने के लिए परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं कि नए संस्करण का उन लोगों में कैसा व्यवहार करने की संभावना है जिन्हें टीका लगाया जा चुका है या पहले से संक्रमित किया गया है। दक्षिण अफ्रीका में भी हेल्थ डिपार्टमेंट प्रकोप की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि नया संस्करण कितना अधिक प्रसारित होगा क्योंकि यह फैलता है और क्या यह अधिक खतरनाक या घातक है। वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं ने शुक्रवार को कहा कि सवालों के जवाब देने में हफ्तों लगेंगे। वेरिएंट के 50 म्यूटेशन के नाटकीय पैटर्न में शुरू होती है, जिनमें से 30 से अधिक वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर होते हैं, जो कि कोविड -19 पीड़ितों की कोशिकाओं पर आक्रमण करने के लिए उपयोग किया जाने वाला हथियार है।

वायरस का क्या है स्वभावएक वायरस का पहला काम किसी के शरीर में प्रवेश के बाद खुद को जीवित रखना होता है और नेचर के हिसाब से वो शरीर में जाकर अपने आकार को बदलता है। SARS-CoV-2 पहली बार पहचाने जाने के बाद से लगातार खुद को बदल रहा है। ओमाइक्रोन जिसे पहले B.1.1.1.529 के रूप में जाना जाता है। ये चिंता का पांचवा प्रकार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नामित किया है।

बाकियों के मुकाबले तेजी से फैलता हैदक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रॉन जिस रफ्तार से फैल रहा है उससे ये सवाल उठने लग गया है कि आखिरकार इस वायरस के फैलने की क्षमता बाकियों के मुकाबले ज्यादा है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सूक्ष्म जीव विज्ञान के प्रोफेसर शेरोन पीकॉक जोकि कोविड -19 जीनोमिक्स यूके कंसोर्टियम के प्रमुख भी हैं उन्होंने कहा कि जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने देखा कि संख्या हर दिन दोगुनी हो रही है, तो उन्होंने जो सवाल पूछा वह था, अच्छा, ये मामले कहां से आ रहे हैं?

वैक्सीनेशन पर क्या है प्रभावटीकों पर नए संस्करण का प्रभाव अपेक्षाकृत जल्द ही स्पष्ट हो सकता है। बायोएनटेक एसई जो दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले कोविड वैक्सीन पर फाइजर इंक के साथ काम करता है, उन्होंने कहा कि यह वैरिएंट पर प्रयोगशाला अध्ययन शुरू कर रहा है और दो सप्ताह के भीतर वैक्सीन के साथ कैसे इंटरैक्ट करता है, इसका पहला डेटा होना चाहिए। बायोएनटेक और फाइजर ने लंबे समय से वादा किया है कि यदि आवश्यक हो तो वे 100 दिनों के भीतर अपने टीके का एक नया संस्करण तैयार करने में सक्षम होंगे।

देशों ने जारी किया अलर्टदक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर अनेक देशों ने तत्काल प्रभाव से अपने बॉर्डर बंद कर दिए हैं। शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका से एम्सटर्डम से आने वाली दो फ्लाइटों में इस नए स्ट्रेन से संक्रमित यात्रियों को पहुंचते ही आइसोलेट कर दिया गया है। डच स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, शुरुआती जांच के नतीजों के आधार पर यह जानकारी मिली है कि दक्षिण अफ्रीका से एम्सटर्डम आने वाली दो फ्लाइट में सवार कुल 600 यात्रियों के कोविड-19 टेस्ट कराए गए। इसके शुरुआती नतीजों में 10 से अधिक यात्री कोरोना संक्रमित हैं।

श्रीलंका ने लगा दिया बैनश्रीलंका रविवार से छह दक्षिण अफ्रीकी देशों के अधिकतर यात्रियों को अपनी सीमा में प्रवेश देने पर रोक लगाएगा। यहां की सरकार ने यह कदम दक्षिण अफ्रीका में इस हफ्ते के शुरुआत में कोविड-19 वायरस के अपेक्षाकृत अधिक घातक स्वरूप ओमीक्रॉन की पहचान होने के मद्देनजर उठाया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, ‘रविवार से दक्षिण अफ्रीका, बोत्स्वाना, जिम्बाब्वे, नामीबिया, लेसोथो और इस्वातिनी से आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से पृथकवास में रहने की आवश्यकता होगी।’

कनाडा ने भी लगाया रोककनाडा ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसने उन विदेशी यात्रियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है जिन्होंने पिछले 14 दिन में अफ्रीका के दक्षिणी भाग की यात्रा की है। कनाडा ने यह निर्णय कोरोना वायरस के नए प्रकार ‘ओमीक्रॉन’ के सामने आने के बाद लिया है। सरकार के मंत्रियों ने यह भी कहा कि पिछले 14 दिन में अफ्रीका के दक्षिणी भाग की यात्रा करने वाले सभी कनाडाई नागरिकों की जांच भी अनिवार्य होगी। पिछले 14 दिन में कनाडा आने वाले लोगों को भी पृथक-वास में रहने और कोविड संक्रमण की जांच कराने को कहा गया है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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