EWS कोटे के लिए 8 लाख आमदनी का पैमाना आपने कैसे तय किया, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) घोषित करने के लिए आठ लाख रुपये सलाना आमदनी से कम आमदनी का जो क्राइटेरिया तय किया गया है उसके लिए उसने क्या एक्सरसाइज किया है। केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि वह बताए कि जो मानदंड तय किया गया है उसके पीछे क्या आधार है।

हलफनाम अभी तक दाखिल नहीं हुआ- सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान हमने केंद्र सरकार से इस मामले में हलफनामा दायर करने को कहा था लेकिन अभी तक दाखिल नहीं हुआ और इस बात पर नाराजगी जाहिर की। हम नोटिफिकेशन को स्टे कर देते हैं इस दौरान आप अपना हलफनामा दायर करें। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि नोटिफिकेशन स्टे न किया जाए हम दो-तीन दिन में हलफनामा दायर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 28 अक्टूबर के लिए टाल दी है।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौतीसुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें केंद्र सरकार द्वारा नीट एडमिशन में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटगरी के स्टूडेंट्स को रिजर्वेशन देने के फैसले को चुनौती दी गई है। केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाले नीट परीक्षा में ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी को 27 फीसदी और आर्थिक तौर पर कमजोर स्टूडेंट को 10 फीसदी रिजर्वेश देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा बताओ इसके पीछे आधार क्या है?सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र ने ईडब्ल्यूएस के लिए जो आमदनी का क्राइटेरिया 8 लाख रुपये तय किया है उसके पीछे आधार क्या है। इसके लिए क्या एक्सरसाइज किया गया। ओबीसी रिजर्वेशन में क्रीमीलेयर के लिए 8 लाख रुपये का क्राइटेरिया तय है क्या आपने ईडब्ल्यूएस के लिए भी वही क्राइटेरिया तय कर दिया जबकि ईडब्ल्यूएस कैटगरी के लोग सोशली और एजुकेशनली बैकवर्ड नहीं हैं। डेमोग्राफिक या सामाजिक या फिर सोश्यो इकोनोमिकल डाटा होना चाहिए।

केंद्र सरकार पर जताई नाराजगीएकतरफा हवा में आठ लाख रुपये की आमदनी का क्राइटेरिया तय नहीं किया जा सकता है। यह लिमिट असमान समानता वाला है। ओबीसी के क्रीमीलेयर के लिए तय क्राइटेरिया में यह देखना होगा कि वह एजुकेशनली और सोशली बैकवर्ड हैं लेकिन ईडब्ल्यूएस कैटगरी के लोग एजुकेशनली और सोशली बैकवर्ड नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात को मानते हैं कि यह मामला नीतिगत है और पैरामीटर तय करना नीतिगत फैसला है लेकिन यह संवैधानिक कसौटी पर हो। आपको दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा गया लेकिन केंद्र ने जवाब दाखिल नहीं किया कि क्राइटेरिया तय करने के लिए क्या एक्सरसाइज किया गया था। हम ऐसे में नोटिफिकेशन पर रोक लगा देते हैं और इस दौरान आप जवाब दाखिल करियेगा।

सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से की गुजारिश इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आप नोटिफिकेशन पर स्टे न करें हम हलफनामा दायर करेंगे। ड्राफ्ट तैयार है और हम दो से तीन दिन में जवाब दाखिल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नीतीगत मामले में दखल नहीं दे रहे हैं लेकिन हम इस बात का खुलासा चाहते हैं कि ईडब्ल्यूएस कैटगरी के लिए पैमाना तय करने के पीछे संवैधानिक सिद्धांत क्या है। इसके लिए क्या क्राइटेरिया अपनाया गया। क्या ओबीसी क्रीमीलेयर के आधार पर आठ लाख रुपये का पैरामीटर तय करना मनमाना नहीं है? शहरी और ग्रामीण और फिर मेट्रो सिटी के लिए एक समान क्राइटेरिया सही है? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 28 अक्टूबर के लिए टाल दी है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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