'अलगाववाद की बात करने वाले लोकतंत्र की बात करने लगे', राम माधव ने कहा- बदला कश्मीर का राजनीतिक विमर्श

'अलगाववाद की बात करने वाले लोकतंत्र की बात करने लगे', राम माधव ने कहा- बदला कश्मीर का राजनीतिक विमर्श
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव ने कहा कि कश्मीर में राजनीतिक विमर्श बदल गया है। स्वायत्तता और अलगाववाद के विषयों का स्थान अब लोकतंत्र और विकास ने ले लिया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है। लगभग 5 साल तक बीजेपी महासचिव और जम्मू-कश्मीर में पार्टी प्रभारी रहे राम माधव ने कहा कि घाटी में भारत विरोधी ताकतें कमजोर और अलग-थलग पड़ रही हैं।

अब यहां शांति खरीदनी नहीं पड़ती बल्कि स्थापित हो रही
उन्होंने कहा, ‘कश्मीर आज पूरी तरह से अलग रास्ते पर चल रहा है। अब तक शांति खरीदने और संघर्ष को प्रबंधित करने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन अब यहां शांति स्थापित हो रही है। जब आप शांति खरीदते हैं, तो आपको कुछ समझौते करने पड़ते हैं, लेकिन जब आपको शांति स्थापित करनी है तो आपको उस ताकत की स्थिति में होना होगा, जो अभी दिख रही है..।” उन्होंने अपनी हालिया किताब ‘द हिंदुत्व पेराडाइम’ में कश्मीर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की है।

अलगाववाद की बात करने वाले लोकतंत्र की बात करने लगे
इस बात पर जोर देते हुए कि घाटी में भारत-विरोधी ताकतें कमजोर हो गई हैं और अलग-थलग पड़ गई हैं, उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में राजनीतिक विमर्श पूरी तरह से बदल गया है। जो लोग हमारा विरोध करते थे, अब वे भी अलगाववाद और स्वायत्तता के बजाय लोकतंत्र और चुनाव की बात करते हैं। यह स्वागत योग्य है और हम उनके साथ लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहेंगे।’

परिसीमन पूरा होने के बाद घाटी में होंगे चुनाव
वैचारिक रूप से विपरीत दो दलों- बीजेपी और पीडीपी के बीच गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले राम माधव ने चुनाव की मांग को ‘वास्तविक’ करार देते हुए कहा कि केंद्र इसके लिए प्रतिबद्ध है और बार-बार कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि एक बार परिसीमन की कवायद पूरी हो जाने के बाद उन्हें यकीन है कि जम्मू-कश्मीर की अपनी विधायिका होगी।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.