दो साल में ऐसा क्या हुआ? एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनने को तैयार दिख रहे राहुल गांधी

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नई दिल्‍ली
क्‍या कांग्रेस की कमान राहुल गांधी फिर संभालेंगे? क्‍या वो अगले कांग्रेस अध्‍यक्ष होंगे? शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक के बाद ये सवाल अचानक हवा में तैरने लगे हैं। जिन कांग्रेसी नेताओं के तमाम आग्रह के बाद भी राहुल गांधी ने अध्‍यक्ष पद ग्रहण करने से दो-टूक मना कर दिया था, अब उन्‍हीं की गुजारिश पर उन्‍होंने इसके लिए मन बनाने को कहा है। इसके बाद सियासी गलियारों में राहुल के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। आखिर दो साल में ऐसा क्‍या हो गया कि राहुल का मन अचानक बदला-बदला सा दिखने लगा है? वो दोबारा अध्‍यक्ष पद संभालने के लिए क्‍यों तैयार दिख रहे हैं?

CWC की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष बनने का आग्रह किया। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि इस बारे में वह विचार करेंगे। खबरों के मुताबिक, बैठक में गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी को दोबारा पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कई अन्य नेताओं ने भी इसका समर्थन किया। इन सीनियर लीडर्स के आग्रह पर राहुल गांधी बोले कि वह उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। इस आग्रह पर वह विचार करेंगे। समय आने पर फैसला लेंगे। राहुल का इतना कहना था कि उनके अगले कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने की अटकलें तेज हो गईं।

पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्‍होंने हार की नैतिक जिम्‍मेदारी अपने कंधों पर ली थी। इन चुनाव में भाजपा के नेतृत्‍व वाले गठबंधन (NDA) ने 353 सीटें जीती थीं। वहीं, कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए को 92 सीटें मिली थीं। 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। इसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। है तो उसमें कोई ताज्‍जुब नहीं है। इसके पीछे कई कारण हैं।

लंबे समय तक सोनिया नहीं संभाल सकती हैं पद
यह तय है कि अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी लंबे समय तक पद पर नहीं बनी रह सकती हैं। कांग्रेस को एक स्‍थायी अध्‍यक्ष की जरूरत है। कांग्रेस के जी-23 नेताओं का समूह भी इसकी मांग करता रहा है। कुछ दिन पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा था कि राहुल गांधी को जल्‍द से जल्‍द पार्टी अध्‍यक्ष की जिम्‍मेदारी लेनी चाहिए। इसके पीछे उन्‍होंने सोनिया गांधी की तबीयत का हवाला दिया था। वह बोले थे कि बेशक सोनिया गांधी पार्टी का नेतृत्‍व करने में सक्षम हैं। लेकिन, उनकी तबीयत ठीक नहीं है। अशोक गहलोत, अजय माकन, भूपेश बघेल जैसे और कई वरिष्‍ठ नेता भी चाहते हैं कि राहुल कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्‍मेदारी लें।

खेमों में बंट रही कांग्रेस
कांग्रेस में खेमेबाजी साफ दिख रही है। कांग्रेस के भीतर ही सीनियर नेताओं एक धड़ा ऐसा है जो खुलकर बागी तेवर दिखाता रहा है। सियासी गलियारों में इसे जी-23 के नाम से जाना जाने लगा है। कांग्रेस आलाकमान पर सीधे निशाना साधते हुए यह गुट कह चुका है वह ‘जी हुजूर-23’ नहीं है।

यही वह समूह है जिसने पिछले साल अगस्त के पहले हफ्ते में पार्टी की कार्यशैली, संस्कृति और हाइकमान को लेकर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी को एक चिठ्ठी लिखी थी। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, भूपेंद्र हुड्डा, पृथ्‍वीराज चव्हाण, शशि थरूर सरीखे दिग्‍गज नेता शामिल हैं।

इस गुट ने पार्टी में दो-फाड़ का संकट पैदा कर दिया है। इसकी मांग पर ही शनिवार को CWC की बैठक बुलाई गई थी। राहुल को भी इस समूह की ताकत का इल्‍म है। वह कतई नहीं चाहेंगे कि कांग्रेस टुकड़ों में बंट जाए। ऐसा न हो इसके लिए राहुल का पार्टी की कमान संभालना जरूरी है। तभी वह उन सवालों का जवाब दे पाएंगे जिनमें कहा जा रहा है कि ‘पार्टी में स्थायी अध्यक्ष नहीं है, लेकिन फैसले हो रहे हैं। फैसले कौन कर रहा है, पता है, पता भी नहीं है।’

आक्रामक हुए हैं राहुल, साबित करनी होगी अपनी बात
हाल के कुछ समय में राहुल काफी आक्रामक हुए हैं। ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, जितिन प्रसाद सहित कई दिग्‍गज कांग्रेसियों के पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने के बाद राहुल ने बेहद बेबाक बयान दिया था। उन्‍होंने कहा था कि कांग्रेस को निडर लोगों की जरूरत है, डरपोकों की नहीं। जो डरपोक हैं वो आरएसएस के आदमी हैं, वो कांग्रेस छोड़कर चले जाएं, ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है। आर्थिक नीतियों से लेकर विदेश नीति तक राहुल भाजपा को घेरते रहे हैं। नेता वही है जो सामने से मोर्चा संभाले। राहुल को यह बात शायद समझ आ गई है। उन्‍हें एहसास होने लगा है कि उन्‍हें अपनी बात को साबित करना होगा। यह तभी होगा जब वह पार्टी की बागडोर अपने हाथों में लेंगे।

आलोचकों को जवाब देने का वक्‍त
अगला लोकसभा चुनाव 2024 में होना है। इसके लिए विपक्ष लामबंद होने की कोशिशों में जुटा है। हालांकि, यह अब तक तय नहीं है कि इसका नेतृत्‍व कौन करेगा। इसे लेकर झगड़ा जरूर शुरू हो गया है। मोदी सरकार को सत्‍ता से उखाड़ फेंकने के लिए सबसे ज्‍यादा दम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भर रही हैं। हाल में ममता ने पार्टी के मुखपत्र ‘जागो बांग्‍ला’ में एक लेख लिखा था। इसमें उन्‍होंने साफ कहा था कि भाजपा को सत्‍ता से हटाने की कांग्रेस के बस की बात नहीं है। यह काम सिर्फ तृणमूल कांग्रेस कर सकती है।

बेशक तृणमूल कांग्रेस का बंगाल में प्रभाव है, लेकिन यही बात देशभर के लिए नहीं कही जा सकती है। वहां, भाजपा के सामने कांग्रेस ही एकमात्र विकल्‍प दिखती है। इसे हर कोई जानता और समझता है। राहुल को भी यह बात पता है। जब उन्‍होंने कांग्रेस अध्‍यक्ष पद ग्रहण करने के लिए विचार की बात कही होगी तो ये सभी बातें शायद उनके जेहन में होंगी।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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