'हमारी पूजा अलग हो सकती है पर मातृभूमि नहीं बदल सकते', संघ प्रमुख ने कहा- अलग दिखने से कोई अलग नहीं होता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने कहा कि आजादी के बाद सावरकर को बदनाम करने की मुहिम बहुत तेजी से चली है। उन्होंने एक किताब का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग सावरकर को बदनाम कर रहे हैं उनका निशाना दयानंद, विवेकानंद, योगी अरविंद होंगे। क्योंकि इन्होंने भारत की वास्तविक राष्ट्रीयता का प्रथम उद्घोष किया था।
संघ प्रमुख ने सुरक्षा नीति पर सरकार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि पहले सुरक्षा नीति चलती थी लेकिन वह राष्ट्रनीति के पीछे-पीछे चलती थी। लेकिन 2014 के बाद सुरक्षा नीति आगे है। उन्होंने यह भी कहा कि 1962 ने दिखा दिया कि सेना की कितनी जरूरत है।
भागवत ने कहा कि यह देश के लोगों को कर्तव्य और अधिकार बराबर की भागीदारी सिखाने वाला युग है। एक किताब का विमोचन करते हुए भागवत ने कहा कि भारत की राष्ट्रीयता पूरी दुनिया को जोड़ने का मार्ग उजागर करती है। मानवता के विचार को ही भारतीय भाषा के परंपरा के अर्थ में धर्म कहा जाता है। धर्म का अर्थ मानवता है, संपूर्ण विश्व की एकता है। उसी के लिए सावरकर जी ने हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल किया।
संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी पूजा अलग हो सकती है लेकिन मातृभूमि नहीं बदल सकते। जो भारत का है उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के साथ ही जुड़ी है। उन्होंने सावरकर और उनके विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्रीयता पूजा पद्धति के आधार पर भेदभाव नहीं करती। हिंदुत्व एक ही है, वैसा ही रहेगा, वो सनातन है। उन्होंने कहा कि अगर इसी बात को आजादी से पहले सब जोर से बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता।
भागवत ने कहा कि ये कहा जाना चाहिए था कि अलगाव की बात मत करो, विशेषाधिकार की बात मत करो। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का विचार यह है कि सबका अस्तित्व एक है, अलग दिखने से कोई अलग नहीं होता। हम एक देश के हैं, पूजा-भाषा अलग होना हमारे देश की परंपरा है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स