राहुल गांधी का जाट प्रेम, समझिए कैसे एक तीर से तीन-तीन निशानें साधे गए
सियासी मायने में पंजाब की घटना बेहद अहम मानी जा रही है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अचानक इस्तीफा दे दिया। पंजाब में काफी दिनों से मची उठापटक के बीच कयास लगाए जा रहे थे कि ये सब बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है और हुआ भी कुछ ऐसा ही। अब सवाल ये उठ रहा है कि कैप्टन के जाने के बाद आखिरकार पंजाब के सीएम का ताज किसके सिर पर सजेगा। इस फेहरिस्त में सबसे अव्वल जो नाम आ रहा है वो है सुनील जाखड़ का। जाखड़ पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं और कांग्रेस का जाट चेहरा भी।
सुनील जाखड़ का सियासी सफरसुनील जाखड़ बलराम जाखड़ के पुत्र हैं जो 1980 से 1989 के बीच दो बार लोकसभा के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। सुनील जाखड़ पंजाब में जाट परिवार से आते हैं। राजनीतिक लिहाज से देखा जाए तो पंजाब में जाटों का कोई खास प्रभुत्व नहीं है। सिख के बदले एक जाट नेता पर दांव खेलना कांग्रेस की किस रणनीति का हिस्सा है, यह समझ से परे है, लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दिमाग में जरूर ये समीकरण बैठ रहा होगा। पंजाब में कांग्रेस का अध्यक्ष सिख यानी नवजोत सिंह सिद्धू हैं और सरकार की कमान एक जाट नेता के हाथ में होगी।
एक तीर से तीन निशानेसुनील जाखड़ कांग्रेस से काफी पहले से जुड़े हुए हैं। पहली बार 2002 में वह अबरोहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनकर आए थे। 2016 में उनके पिता बलराम जाखड़ का निधन हो गया और उसके बाद 2017 लोकसभा उपचुनाव में गुरुदासपुर से उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। बलराम जाखड़ सिर्फ पंजाब तक ही सीमित नहीं थे। इसका मतलब साफ है कि सुनील जाखड़ को पंजाब का सीएम बनाने के पीछे हरियाणा और राजस्थान की राजनीति भी छिपी हुई है। बलराम जाखड़ खुद दो बार सीकर से सांसद रह चुके हैं।
राजस्थान से भी है गहरा लगावइतना ही नहीं बलराम जाखड़ 1998 में राजस्थान के बीकानेर से भी सांसद चुने गए। सुनील जाखड़ ने खुद सीकर जाकर चुनाव प्रचार किया है उसको अपनी कर्मभूमि बताया है। मसलन, कांग्रेस की नजर पंजाब ही नहीं बल्कि हरियाणा और राजस्थान भी है जहां पर जाट समुदाय की राजनैतिक पहुंच काफी ज्यादा है। दोनों ही प्रदेशों में जाट समुदाय जीत और हार का कारण बनता है। कांग्रेस के लिए मुश्किलें केवल पंजाब की नहीं है आपको पता होगा कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच क्या चल रहा है। हम सब जरूर कांग्रेस के इस फैसले से चौंक रहे होंगे मगर हो सकता है राजनैतिक लिहाज से ये फैसला बिल्कुल सटीक बैठे।
2012 से 2017 के बीच जाखड़ नेता प्रतिपक्षअब सुनील जाखड़ के सामने सबसे पड़ी चुनौती ये है कि कैसे वो बागी विधायकों को मनाते हैं क्योंकि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ तकरीबन 25 से ज्यादा विधायक हैं जो बागी हो सकते हैं। 2012 से 2017 के बीच जाखड़ नेता प्रतिपक्ष का रोल निभाया। इस वक्त कांग्रेस के सभी फैसले राहुल गांधी ही ले रहे हैं। सुनील जाखड़ को भी राहुल का करीबी माना जाता है। इसी तरह इनके पिता बलराम जाखड़ भी इन्दिरा गांधी के बेहद करीबी नेताओं में से एक रहे हैं। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में भी बलराम जाखड़ मंत्री रहे हैं और मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं।
किस करवट बैठेगी पंजाब की राजनीतिअब देखना और भी दिलचस्प हो गया है कि आगे आने वाले दिनों में पंजाब की राजनीति किस करवट बैठेगी। कांग्रेल ने भाजपा की तर्ज पर खेल खेलने की कोशिश की है, जैसे बीजेपी ने जाट लैंड हरियाणा में खत्री पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया। अब कांग्रेस ने भी एक प्रयोग किया है बिल्कुल वैसा ही जैसा पड़ोसी राज्य हरियाणा में बीजेपी ने किया। अब देखना होगा कि इस प्रयोग से कांग्रेस को क्या हासिल होता है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स