पूर्व IAS हर्ष मंदर के ठिकानों पर ED की छापेमारी से भड़के बुद्धिजीवी, बोले- सरकार के आलोचकों को धमकाने की कोशिश

पूर्व IAS हर्ष मंदर के ठिकानों पर ED की छापेमारी से भड़के बुद्धिजीवी, बोले- सरकार के आलोचकों को धमकाने की कोशिश
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नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को पूर्व IAS अधिकारी एवं के दिल्ली स्थित परिसरों पर छापेमारी की। ईडी की कार्रवाई की निंदा करते हुए कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने कहा कि सरकार के ‘हर आलोचक को धमकाने, डराने और चुप कराने की लगातार कोशिश का यह हिस्सा’ है। एक संयुक्त बयान में 25 से ज्यादा कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने कहा कि मंदर ने शांति और सौहार्द्र के लिए काम करने के अलावा कुछ भी नहीं किया है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दक्षिण दिल्ली के अधचीनी, वसंतकुंज और महरौली में स्थित मंदर के आवास और गैर सरकारी संगठन के कार्यालयों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापे मारे। मंदर ने कई पुस्तक लिखी हैं और सामाजिक कार्यों के अलावा वह सामाजिक न्याय और मानवाधिकार जैसे विषयों पर समाचार पत्रों में संपादकीय भी लिखते हैं। वह गुरुवार सुबह ही अपनी पत्नी के साथ जर्मनी रवाना हुए।

बयान में कहा गया, ‘हम मानवाधिकार और शांति के लिए काम करनेवाले कार्यकर्ता को परेशान करने और डराने के लिए इन छापों की निंदा करते हैं। मंदर ने शांति और सौहार्द्र के लिए काम करने के अलावा कुछ नहीं किया है और लगातार ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के उच्च मानकों को बनाए रखा है।’ इस बयान पर हस्ताक्षर करनेवालों में योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉक्टर सईदा हमीद, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, कविता कृष्णन, सिटिजन फ़ॉर जस्टिस एंड पीस की सचिव तीस्ता सीतलवाड़ और गैर सरकारी संगठन अनहद की संस्थापक शबनम हाशमी शामिल हैं।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के रजिस्ट्रार की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 83 (2) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। ये मामले सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीएसई) द्वारा दक्षिण दिल्ली में स्थापित ‘उम्मीद अमन घर’ और ‘खुशी रेनबो होम’ से जुड़े हैं।

पुलिस ने तब बताया था कि इन संस्थानों की एनसीपीसीआर की टीम द्वारा पिछले वर्ष अक्टूबर में जांच के आधार पर मामला दर्ज किया गया था। बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने तब आरोप लगाए थे कि दो गैर सरकारी संगठनों की जांच में एक संस्थान में किशोर न्याय अधिनियम और बाल यौन उत्पीड़न सहित कई अन्य अनियमितताएं पाई गई थीं। मंदर ने तब इन आरोपों को अनुचित बताया था।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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