कोरोना ने ली नौकरी-वीजा जब्त, सऊदी में दूतावास के 'कब्जे' में बेटा… वापसी की उम्मीद खो चुका परिवार

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लखीमपुर-खीरी
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी के रहने वाले लतीफ के साथ विदेश में नौकरी के नाम पर जो हुआ, उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सदर कोतवाली के मीरपुर के रहने वाले रफीक का बेटा लतीफ 31 अक्टूबर 2019 को रोजगार की आस में गया। वहां 2-3 महीनों के बाद ही उसकी नौकरी चली गई और वीजा कैंसिल कर उसे जेल में डाल दिया गया। परिवार का पिछले करीब 14 महीनों से रो-रोकर बुरा हाल है, मगर बेटे की वतन वापसी की कोई उम्मीद नहीं है।

लतीफ के पिता का आरोप, दूतावास के ‘कब्जे’ में है बेटालतीफ के पिता रफीक से
एनबीटी ऑनलाइन ने बात की तो वह बात करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उनका बेटा अब सऊदी सरकार नहीं बल्कि भारतीय उच्चायोग के ही ‘कब्जे’ में है, मगर वह उसे भेज नहीं रहे। रफीक ने कहा, ‘बेटे को 2-3 महीने पहले उसका फोन लौटाया गया और वीडियो कॉल पर बात होती है। दूतावास के अफसरों ने उसे कहीं रखा है। उसे भेज क्यों नहीं रहे, यह कोई नहीं बता रहा। बेटा वीडियो कॉल पर अकसर रोने लगता है। वह लगातार कह रहा है कि उसकी गलती क्या है उसे बताया जाए, कोई दस्तावेज कम हो तो उसे पूरा करेंगे। मगर दूतावास के अफसर उसे दोबारा सऊदी की जेल में भेजने तक की धमकी देते हैं।’

कैसे बिगड़े हालात? नौकरी छूटी, जाना पड़ा जेलरफीक ने बताया कि खीरी थानाक्षेत्र के मोहल्ला कटरा के रहने वाले हाजी जावेद ने डेढ़ लाख रुपये लेकर बेटे को सऊदी भिजवाया था। वहां उसकी ड्राइवर की नौकरी थी। अक्टूबर 2019 में उसके जाने के बाद से 2-3 महीने सब सही चला। अचानक कोरोना के चलते उसकी नौकरी चली गई। एक दिन पता चला कि उसका वीजा कैंसल हो गया है और सऊदी सरकार ने उसे जेल में डाल दिया।

सब वापस आ गए, सिर्फ लतीफ को क्यों रोका?
लतीफ के पिता रफीक ने आगे बताया, ‘कुछ महीने जेल में रहने के बाद उसे और उसके साथ सात अन्य लोगों को भारतीय दूतावास के हवाले कर दिया गया। उनमें से 7 लोगों को वतन वापस भेज दिया गया, मगर लतीफ आज तक वहीं है। दूतावास उसे क्यों नहीं भेज रहा, इस बारे में कुछ नहीं पता है। हम कहां बात करें किससे दरख्वास्त करें, हमें कुछ नहीं पता है।

जावेद ने दिया धोखा, बेटे की वापसी का झांसा देकर ऐंठे 80 हजार रुपयेरफीक ने बताया कि जिस जावेद ने लतीफ को विदेश भेजा था हमने उससे बात की। उसने कहा कि वह वहां बात करेगा और उसे वापस लाने में 80 हजार रुपये लगेंगे। हमने पैसे दे दिए, मगर वह 80 हजार रुपये भी डकार गया और बेटे की वापसी भी नहीं हुई।

पुलिस ने कोतवाली से भगाया, कहा- विदेश का मामला है, हम क्या करेंरफीक ने बेटे के विदेश में फंसे होने और जावेद की हेराफेरी के बारे में पुलिस में शिकायत करनी चाही तो पुलिस ने भी बेरुखी दिखाई। रफीक ने बताया, ‘हम 4 जनवरी को जावेद की शिकायत करने सदर कोतवाली गए। वहां किसी ने हमारी नहीं सुनी और बाहर से ही भगा दिया। हमने बेटे के विदेश में फंसे होने की बात बताई तो उन्होंने साफ कहा कि यह विदेश का मामला है इसमें हम क्या कर सकते हैं।’

नहीं दिख रही कोई उम्मीद, लोगों ने दिल्ली जाने की दी सलाहरफीक ने भावुक होते हुए कहा कि हमें अपने बेटे को वापस लाने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। कुछ लोगों ने सलाह दी है कि हम दिल्ली जाएं और वहां सरकार को अपनी बात बताएं। मगर हमें कुछ नहीं पता है कि कैसे दिल्ली जाना है और वहां किससे-कहां मिलना है। हमें कोई बस हमारा बेटा वापस दिला दे!

साभार : नवभारत टाइम्स

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