बस्तर दशहरा : आमाबाल के भगत बैठे नौ दिनों के जोग पर

बस्तर दशहरा : आमाबाल के भगत बैठे नौ दिनों के जोग पर
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जगदलपुर. दशहरा पर्व का महत्वपूर्ण विधान जोगी बिठाई की रस्म रविवार शाम 6 बजे सिरासार भवन में पूरी की गई. छह सौ बरसों से चली आ रही परम्परा के अनुसार आमाबाल गांव के भगत राम को विधि-विधान से मावली देवी की पूजा-अर्चना के बाद सिरासार भवन पहुंचाया गया. इसके बाद जोगी नौ दिनों के तप के लिए बनाए गए गड्ढे में बैठे.

बस्तर जनपद के ग्राम आमाबाल के जोगी परिवार के वशंज जोगी के रूप में नौ दिनों तक बैठते हैं. रविवार शाम सिरासार भवन में मांझी-चालकी व पुजारी की मौजूदगी में जोगी को नए वस्त्र पहनाए गए. तदुपरांत उसे गाजे-बाजे के साथ कपड़ों के पर्दे की आड़ में सिरासार के पास स्थित मावली माता मंदिर ले जाया गया. चारों ओर पर्दा रखने के पीछे बुरी नजर से बचाना बताया जाता है.

मावली मंदिर में पुजारी द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया. देवी की पूजा-अर्चना उपरांत वहां रखे तलवार की पूजा की गई. इसके बाद उक्त तलवार लेकर जोगी वापस सिरासार भवन में पहुंचा. पुजारी के प्रार्थना उपरांत जोगी नौ दिनों तक साधना का संकल्प लेकर गड़ढे में बैठे.

साधना काल में जोगी की सेवा-सुषुश्रा के लिए आमाबाल से 50 ग्रामीण आए हुए हैं. इनके द्वारा जोगी को आवश्यकता अनुसार जल या अल्प मात्रा में फल दिया जाएगा. मान्यता है कि जोगी के तप से देवी प्रसन्न् होती हैं तथा विशाल दशहरा पर्व निर्विघ्न संपन्न होता है.

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