TMC में जाते ही बदले यशवंत सिन्हा के सुर, दावा- कंधार कांड में बंधकों के बदले खुद को सौंपने को तैयार थीं ममता
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया। वह साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अलग हो गए थे। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सिन्हा ने मुख्यमंत्री का साथ देने का फैसला किया। सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने एक कांड से जुड़ा एक दावा किया। सिन्हा ने कहा कि ममता ने उस दौरान खुद बंधक बनने का प्रस्ताव दिया था। शर्त ये थी कि आतंकवादी सभी बंधकों को छोड़ देंगे।
क्या है कंधार कांड?24 दिसंबर, 1999 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले इंडियन एयरलाइंस का विमान आईसी-814 का शाम करीब 5.30 बजे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। अमृतसर, लाहौर और दुबई में लैंडिंग करते हुए आतंकियों ने विमान को अफगानिस्तान के कंधार में उतरने के लिए मजबूर किया। आतंकियों ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया, लेकिन रूपिन कात्याल नाम के एक यात्री को चाकू से बुरी तरह गोदकर मार डाला था जबकि कई अन्य को घायल कर दिया था। तब यात्रियों की रिहाई के बदले भारत को तीन आतंकियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुस्ताक अहमद जर्गर को अपहरणकर्ताओं को सौंपना पड़ा था।
‘सभी संस्थाओं को कमजोर कर रही केंद्र सरकार’सिन्हा ने कहा, ‘‘देश अजीब परिस्थिति से गुजर रहा है, हमारे मूल्य और सिद्धांत खतरे में हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र की मजबूती संस्थाओ में निहित है और सभी संस्थाओं को व्यवस्थागत तरीके से कमजोर किया जा रहा है।’’ सिन्हा (83 वर्षीय) ने भाजपा के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करने की शपथ ली। तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा,‘‘हम अपनी पार्टी में यशवंत सिन्हा का स्वागत करते हैं। उनकी हिस्सेदारी से चुनाव में भाजपा के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी।’’
पिता TMC में तो बेटा BJP मेंसिन्हा ने वर्ष 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में वित्तमंत्री की जिम्मेदारी निभाई थी और इसके बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल भी उन्हें इस मंत्रालय का कार्यभार मिला। उन्होंने वाजपेयी सरकार में विदेशमंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन भगवा पार्टी के नेतृत्व से मतभेदों के चलते वर्ष 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी। सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन के धुर विरोधी रहे हैं। हालांकि उनके बेटे जयंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग से भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं।
साभार : नवभारत टाइम्स