सरकारी अधिकारी को राज्य चुनाव आयुक्त बनाना संविधान का मजाक: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब चुनाव आयोग को इंडिपेंडेंट रखना है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सरकारी अधिकारी को राज्य चुनाव आयुक्त का अडिशनल चार्ज देना तो संविधान के साथ मजाक है।

जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जिसमें उसने कहा था कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कमतर करना स्वीकार्य नहीं हो सकता और राज्य चुनाव आयुक्तों के लिए स्वतंत्र व्यक्ति होने चाहिए।

गोवा के लॉ सेक्रेटरी को वहां का चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त चार्ज दिया गया था। इसी मामले में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं हो सकता है। सरकारी पद पर बैठे किसी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त का चार्ज देना संविधान का मजाक उड़ाना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगरपालिका परिषद चुनाव के लिए राज्य सरकार की तरफ से अपने लॉ सेक्रेटरी को राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करना गलत है। अदालत ने कहा कि ये बेहद परेशानी पैदा करने वाली बात है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केद्र या राज्य सरकार की नौकरी करने वाला या उससे जुड़ा शख्स राज्य चुनाव आयुक्त के तौर पर काम नहीं कर सकता है। राज्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र शख्स होना चाहिए, वह सरकारी अधिकारी नहीं हो सकता। इस बाबत हाई कोर्ट ने गोवा पंचायत चुनाव में व्यवस्था दी थी जिसके खिलाफ गोवा सरकार सुप्रीम कोर्ट आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्त स्वतंत्र शख्स होना चाहिए। कोई भी राज्य, सरकार के अधीन काम करने वाले व्यक्ति को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि ये राज्य सरकार की ड्यूटी है कि वह राज्य चुनाव आयोग के कामकाज में दखल न दे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी राज्य किसी ऐसे व्यक्ति को चुनाव आयुक्त नहीं बना सकता जो किसी भी सरकारी पद को होल्ड करता हो। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तमाम राज्यों से कहा है कि वह संवैधानिक स्कीम का पालन करे और राज्य चुनाव आयोग की स्वायत्तता बनी रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये परेशान करने वाली बात है कि सरकारी नौकरशाह जो नौकरी में बने हुए थे उन्हें गोवा के राज्य चुनाव आयोग में अडिशनल चार्ज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तमाम राज्यों से कहा है कि वह संवैधानिक स्कीम का पालन करे और राज्य चुनाव आयोग की स्वायत्तता बनी रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये परेशान करने वाली बात है कि सरकारी नौकर जो नौकरी में बने हुए थे उन्हें गोवा के राज्य चुनाव आयोग में अडिशनल चार्ज दिया गया।

साभार : नवभारत टाइम्स

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