जजमेंट पढ़कर 'चकराए' जस्टिस चंद्रचूड़, बोले- भाषा सरल होनी चाहिए, थेसिस नहीं

जजमेंट पढ़कर 'चकराए' जस्टिस चंद्रचूड़, बोले- भाषा सरल होनी चाहिए, थेसिस नहीं
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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के एक जजमेंट को देखकर कहा कि जिस तरह से ये लिखा गया है वह उनके समझ से परे है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को पढ़कर उक्त टिप्पणी की और जिस तरह से जजमेंट लिखा गया है उस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जजमेंट समझने योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि जजमेंट सरल भाषा में लिखा होना चाहिए, उसमें थेसिस नहीं होना चाहिए।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है। एक सरकारी कर्मी पर मिसकंडक्ट का आरोप था, यह मामला पहले ट्रिब्यूनल में गया था और फिर हाई कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जजमेंट ऐसा होना चाहिए जो आसानी से समझ में आए।

‘जजमेंट ऐसा लिखा होना चाहिए जो आसानी से समझ में आए’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसके लिए जस्टिस कृष्णाअय्यर को कोट किया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह खुद सुबह 10 बजकर 10 मिनट से पढ़ना शुरू किया और जजमेंट 10 बजकर 55 मिनट तक पढ़ते रहे, तब जाकर खत्म हुआ। आप कल्पना करें उस स्थिति की। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जजमेंट ऐसा लिखा होना चाहिए जो आसानी से समझ में आए। जजमेंट में साधारण शब्दों का इस्तेमाल होना चाहिए, वह थेसिस की तरह नहीं लिखा जाना चाहिए।

‘फैसले में कहना चाहते हैं, वह सरल भाषा में लिखें’सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 पेज के जजमेंट में जो आधार बताया गया है और वह समझ से बाहर है। जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि ब्रदर (जस्टिस शाह) क्या हम बताएं कि जजमेंट कैसे लिखा जाए? आप जो भी फैसले में कहना चाहते हैं, वह सरल भाषा में लिखें।

साभार : नवभारत टाइम्स

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