मुंबई में बढ़ रहे कोरोना केस तो क्‍या फिर से लगेगा लॉकडाउन? मंत्री का इशारा समझिए

मुंबई में बढ़ रहे कोरोना केस तो क्‍या फिर से लगेगा लॉकडाउन? मंत्री का इशारा समझिए
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मुंबई
मुंबई में कोरोना () की रफ्तार सरकार और स्थानीय प्रशासन को डरा रही है। शहर में 131 दिन बाद फिर से 1361 नए मामले सामने आए हैं। इन आंकड़ों ने सरकार की नींद उड़ा दी है। मुंबई के संरक्षक मंत्री असलम शेख में बताया कि शहर में आंशिक रूप से लॉकडाउन लगाया जा सकता है। स्थानीय प्रशासन इस पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि इसी रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ते रहे तो लॉकडाउन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता है।

राज्य में 11 हज़ार के पार कोरोना मामले
महाराष्ट्र में बीते 24 घंटों में 11हज़ार 141 में कोरोना के मामले सामने आए हैं। 142 दिन बाद राज्य में कोरोना के इतने मामले आए हैं। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने उद्धव ठाकरे के साथ हुई बैठक में कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। आपको बता दें कि राज्य के कई जिलों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़े बिल्कुल उसी रफ्तार से बढ़ रहे हैं। जैसे पिछले साल सितंबर के महीने में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही थी।

अप्रैल तक 2 लाख एक्टिव मामलों की आशंका
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार को इस बात की आशंका है कि अप्रैल तक राज्य में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या दो लाख तक सकती है। फिलहाल जिन इलाकों में लॉकडाउन लगा हुआ है, वहां इसका कोई खास असर होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। कोरोना के मामलों के रफ्तार जस की तस बनी हुई है। मराठवाड़ा के औरंगाबाद शहर में साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट तकरीबन 24% है जिसके बाद अकोला का पाजिटिविटी रेट 23% है। मुंबई उपनगर में यह दर 7.6 प्रतिशत है।

कोरोना नियमों का पालन जरूरी
महाराष्ट्र और मुंबई में स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना के मामले किसी भी कीमत पर कम किए जाएं। हालांकि इसमें कोई खास सफलता मिलती हुई नजर नहीं आ रही है। जनता से लगातार मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है। शादियों के हॉल और पबों में भीड़ कम करने को कहा जा रहा है। लोगों से मास्क पहनने की अपील के बाद भी लोग इस गुजारिश को अनसुना करते हुए नजर आ रहे हैं। मुंबई में कोरोना के बढ़ते मामलों की एक वजह यह भी है कि शहर में बहुत छोटे-छोटे घर हैं। जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग जैसी किसी चीज का पालन हो पाना लगभग नामुमकिन सा लगता है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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