LAC पर डिसइंगेजमेंट पूरा.. तो क्यों मौजूद है चीन और भारत की सेनाएं और युद्ध का सामान?
ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पैंगोंग एरिया में भारत और चीन की सेना के बीच डिसइंगेजमेंट तो पूरा हो गया है, लेकिन दोनों तरफ से सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं की गई है। दोनों देशों के सैनिक जो पहले कई जगहों पर एकदम आमने सामने थे। वह अब कुछ पीछे हुए हैं लेकिन सैनिकों की तैनाती के साथ ही सैन्य साजोसामान की तैनाती पहले की तरह ही है। भारतीय सेना सूत्रों के मुताबिक पैंगोंग एरिया में डिसइंगेजमेंट से सकारात्मक माहौल बना है और इस पर इसी तरह आगे बढ़ने पर जोर दिया जा रहा है।
सेना के एक अधिकारी के मुताबिक पैंगोंग एरिया में जो डिसइंगेजमेंट हुआ है उसमें कुछ जगहों पर सैनिक 500 मीटर पीछे गए हैं कुछ जगहों पर कुछ किलोमीटर तक पीछे हुए हैं। पैंगोंग एरिया के उत्तरी किनारे यानी फिंगर एरिया में दोनों देशों के सैनिक अपने परमानेंट बेस पर चले गए हैं। हालांकि सारे सैनिक वहीं तैनात हैं और किसी भी तरफ से सैनिकों को हटाया नहीं गया है। क्या चीन समझौते को पूरी तरह मान रहा है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक तो यही लग रहा है।
दोनों तरफ से जारी है बातचीत का दौर
उन्होंने बताया कि बातचीत के दौरान यह भी वादा किया गया कि जिन जगहों को छोड़कर सैनिक पीछे चले गए हैं उन जगहों पर वह वापस नहीं आएंगे, जिससे भरोसा बना रहे। सेना के अधिकारी के मुताबिक अलग अलग माध्यमों से अलग अलग स्तर पर बातचीत चल रही है। किस तरह डिएस्केलेशन होगा और फिर डीइंडक्शन, इस पर सहमति बनाने की कोशिश है।
डिएस्केलेशन का मतलब है कि सैनिक और टैंक, मिसाइल सहित दूसरे सैन्य साजोसामान जो अभी जंग लड़ने के लिए तैनात हैं उन्हें नॉर्मल स्थिति में उनके बेस भेज दिया जाएगा। डीइंडक्शन का मतलब है कि धीरे धीरे सैनिकों को वहां से हटाया जाएगा और पहली वाली स्थिति बहाल की जाएगी। ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी के पास चीन ने अपने करीब 50 हजार सैनिक तैनात किए हैं और उसी तरह भारत ने भी करीब उतने ही सैनिक तैनात किए है।
डिएस्केलेशन और डीइंडक्शन में लग सकता है वक्त
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि डिएस्केलेशन और डीइंडक्शन में वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि जब सैनिकों को तैनात किया जा रहा था तब उन्हें एयरड्राप किया गया यानी हवाई मार्ग से पहुंचाया गया। लेकिन डीइंडक्शन के वक्त सैनिक पैदल मार्ग और सड़क मार्ग से ही वापस आएंगे। इस मौसम में जोजिला और रोहतांग पास अमूमन बंद रहते हैं। हालांकि इस बार जोजिला को कुछ वक्त के लिए खोला गया है। इसी तरह रोहतांग के नीचे नई बनी अटल टनल के जरिए भी रास्ता जल्दी खुलने की उम्मीद है। लेकिन डीइंडक्शन में अभी वक्त लगेगा। एक बार डीइंडक्शन शुरू होगा तो इसे पूरा होने में ही कई महीने लग जाएंगे।
साभार : नवभारत टाइम्स