अथॉरिटी को 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज लेने पर रोक संबंधी SC के आदेश को वापस लेने की गुहार
आम्रपाली मामले की सुनवाई के दौरान में नोएडा और ग्रेटर की ओर से दलील दी गई कि कोर्ट को उस आदेश को वापस लेना चाहिए जिसमें कहा गया है कि बिल्डर के बकाये की वसूली में 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज न लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में अथॉरिटी की ओर से पेश वकील हरीस साल्वे ने कहा कि इस आदेश के गंभीर असर होंगे और पब्लिक मनी का भारी नुकसान होगा।
सुप्रीम कोर्ट में बॉयर्स की ओर से पेश वकील एमएल लाहौटी ने एनबीटी को बताया कि इस मामले में अथॉरिटी की ओर से पेश दलील के बाद बिल्डरों की ओर से पांच मार्च को दलील पेश की जाएगी और अन्य मामलों की सुनवाई चार मार्च को होगी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि 10 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नोएडा अथॉरिटी और अपने बकाया पर ज्यादा ब्याज नहीं ले सकते।
अदालत ने कहा था कि जो किश्त अदायगी में देरी हुई है उसके ब्याज के तौर पर 8 फीसदी से ज्यादा रकम न लिया जाए। साल्वे ने कहा कि आम्रपाली मामले में ये आदेश हुआ था लेकिन इसका लाभ अन्य बिल्डर के मामले में नहीं होना चाहिए। इस मामले में जब आदेश पारित हुआ था उससे पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की ओर से स्पष्ट तरीके से पक्ष नहीं रखा जा सका।
दरअसल अथॉरिटी ये समझ रही थी कि ये मामला सिर्फ आम्रपाली मामले तक सीमित रहेगा। लेकिन इस फैसले का व्यापक असर होने वाला है और अन्य जगह भी इस फैसले को रेफर किया जाएगा और इस तरह पब्लिक मनी का भारी नुकसान होगा। देश भर के अथॉरिटी के मामले में इस फैसले का असर होगा।
हरीश साल्वे अथॉरिटी की ओर से पेश होते हुए कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी निवेशक नहीं है इस मामले में जो आदेश पारित किया गया था उसका असर ये होगा कि देश भर के अथॉरिटी के मामले में इस फैसले का हवाला दिया जाएगा। इस कारण अथॉरिटी को करीब 7500 करोड़ का नुकसान होगा।
अथॉॉरिटी सरकारी एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस है और ये नुकसान टैक्स देने वाले लोगों के पब्लिक मनी का नुकसान होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल करना चाहिए और अपने 10 जून 2020 के आदेश को वापस लेना चाहिए।
साभार : नवभारत टाइम्स