Toolkit : आरोपी शांतनु पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, अग्रिम जमानत के लिए दौड़े कोर्ट

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मुंबई
ग्रेटा थनबर्ग की ओर से सोशल मीडिया पर किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ शेयर किए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने दर्ज मामले में आरोपी वकील निकिता जैकब और पर्यावरण एक्टिविस्‍ट शांतनु मुलुक ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट () का रुख किया। इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

दोनों ने अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। अदालत मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। दिल्ली पुलिस के अनुसार, दोनों पर दस्तावेज तैयार करने और ‘खालिस्तान-समर्थक तत्वों’ के सीधे संपर्क में होने का आरोप है। जैकब ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश पी. डी. नाइक की एकल पीठ से याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

मंगलवार को हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
हाईकोर्ट ने कहा कि वह मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करेगा। जैकब ने चार सप्ताह के लिए ट्रांजिट अग्रिम जमानत की मांग की है, ताकि वह दिल्ली में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के लिए संबंधित अदालत का रुख कर सके। मध्य महाराष्ट्र के बीड जिले के निवासी मुलुक ने अपनी याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में दायर किया।

जैकब को है ये डर
याचिका में कहा गया है कि आवेदक (जैकब) को डर है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध और ‘मीडिया ट्रायल’ के कारण गिरफ्तार किया जा सकता है। याचिका में कहा गया कि मामले में दर्ज एफआईआर ‘गलत और निराधार है’ और जैकब ने अभी तक दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ के साथ सहयोग किया है और बयान भी दर्ज कराया है।

‘पुलिस में दर्ज शिकायत गलत और निराधार’
याचिका में कहा कि लीगल राइट्स आर्ब्जवेटरी नाम की एक संस्था ने दिल्ली पुलिस के समक्ष गलत और निराधार शिकायत दर्ज कराई है और 26 जनवरी 2021 को हुई हिंसा का दोष आवेदक पर लगाने की कोशिश की है। याचिका के अनुसार, 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस जैकब के मुम्बई के गोरेगांव इलाके में स्थित घर पर तलाशी वारंट के साथ पहुंची थी और उसने कुछ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए थे।

बचाव को लेकर अपना पक्ष रखा
उसके अनुसार, आवेदक का जागरूकता फैलाने या हिंसा, दंगे भड़काने या किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए संचार पैक/ टूलकिट पर शोध, चर्चा करने, उसका एडिट करने का कोई धार्मिक, राजनीतिक या वित्तीय उद्देश्य या एजेंडा नहीं है। उसने कहा कि जैकब बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील हैं और पर्यावरण संबंधी मामले के लिए स्वेच्छा से काम करती हैं।

किसान आंदोलन को लेकर वे चिंतित
आवेदन में कहा कि आवेदक हाल ही में पारित हुए कृषि कानूनों को लेकर और किसानों को खलनायक के तौर पर पेश करने को लेकर बेहद चिंतित हैं। उसके अनुसार, जैकब की निजी जानकारियां सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही हैं। आवेदन में कहा गया है कि उनका आम आदमी पार्टी (आप) जैसे राजनीतिक दलों के साथ संबंध होने का दावा करके जैकब के खिलाफ नफरत एवं हिंसा भड़काने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है।

ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर की थी टूलकिट
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देते हुए जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने यह ‘टूलकिट’ साझा की थी। ‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है। कुछ आलोचकों का कहना है कि ‘टूलकिट’ भारत में प्रदर्शनों को हवा देने की उनकी साजिश का ‘सबूत’ हैं।

टूल किट है क्या?टूलकिट एक दस्तावेज होता है। किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए इसमें विस्तृत सुझाव होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटिअर्स को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका मकसद खास वर्ग या टार्गेट ऑडियंस को जमीन पर काम करने के लिए दिशा दिखाना होता है। जो लोग किसी मुद्दे के बारे में जानना चाहते हैं या उसका हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें टूलकिट से मदद दी जाती है। इससे ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी अभियान से जुड़े कदम एक साथ और एक ही दिशा में उठाने में मदद मिलती है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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