सेना को मिला 'हंटर किलर' अर्जुन मार्क 1A टैंक, जानें इसकी और खासियतें

सेना को मिला 'हंटर किलर' अर्जुन मार्क 1A टैंक, जानें इसकी और खासियतें
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नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जुन मार्क 1A टैंक ने सेना को सौंप दिया। अत्याधुनिक क्षमता से लैस यह टैंक पूर्णतः स्वदेशी है। यानी, इसकी डिजाइनिंग से लेकर डिवेलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग तक का काम देश में ही हुआ है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की युद्धक वाहन अनुसंधान एवं विकास इकाई (CVRDE) ने अर्जुन मार्क 1A को बनाया है। आड़ लेकर हमला कर रहे दुश्मनों को भी तबाह करने की क्षमता के कारण इसे हंटर किलर टैंक भी कहा जाता है। आइए जानते हैं, इसकी खासियतों को बारे में…

ये हैं अर्जुन मार्क 1A टैंक की खासियतें

  1. अर्जुन टैंक में 71 बड़े अपडेट करके मार्क 1A वर्जन तैयार किया गया है। इस कारण अर्जुन मार्क 1A मारक और बचाव क्षमता के लिहाज से विश्वस्तरीय टैंक है।
  2. यह टैंक साधारण अर्जुन टैंक से काफी ज्यादा ताकतवर है और यह तेजी से लक्ष्य का पीछा भी कर सकता है।
  3. इस टैंक में मुख्य हथियार और सहायक हथियार, दोनों की भूमिका निभाने की क्षमता है। टैंक में उच्च कोटी का इंजन लगा हुआ है।
  4. इसमें काफी दमदार ट्रांसमिशन सिस्टम है, खासकर लचीला हाइपरन्यूमेटिक सस्पेंशन इसे ज्यादा घातक बना देता है।
  5. इसमें उच्च क्वॉलिटी का रनिंग गियर लगा है जो धमाके के वक्त भारी झटके को सीमित कर देता है।
  6. टैंक में रात हो या दिन, हर वक्त, हर मौसम में अपने लक्ष्य पर अचूक और तेज गति से हमला करने की क्षमता है।
  7. यह हंटर किलर है, यानी अपने लक्ष्य को ढूंढकर वार कर सकता है।
  8. युद्ध के दौरान कम-से-कम समय में दुश्मनों के हमलों का जवाब देने की क्षमता।
  9. दुश्मन पर पहले वार करने और दौड़ते-भागते लक्ष्यों पर भी निशाना साधने की क्षमता।
  10. युद्ध में ज्यादा से ज्यादा दूरी तक दुश्मन के सैन्य साजो-सामानों के विनाश की क्षमता।
  11. इस टैंक पर ग्रेनेड और मिसाइलों से हमले का कोई असर नहीं होने वाला।
  12. अर्जुन मार्क 1A टैंक में स्पेशल सेंसर लगाए गए हैं जो रसायनिक हमले से इसकी रक्षा कर सकता है।


सेना को मिले

118 अर्जुन मार्क 1A टैंक
ध्यान रहे कि सेना के लिए 84 हजार करोड़ की कीमत पर 118 टैंक खरीदे गए हैं। यानी, एक टैंक की कीमत करीब 711 करोड़ रुपये है। सेना के पास पहले से 124 अर्जुन टैंक हैं। हालांकि, वो परंपरागत तकनीक के टैंक हैं। भारतीय सेना के बख्तरबंद कोर में इन टैंकों के दो रेजीमेंट बनेंगे। एक रेजीमेंट पश्चिमा राजस्थान में होगा जहां से पाकिस्तान इस टैंक के निशाने पर होगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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