सदन में दोबारा मोदी ने बोला आंदोलनजीवी, बताया कैसे आंदोलनकारी से है अलग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी () आज जब लोकसभा में बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने फिर से आंदोलनजीवी शब्द का प्रयोग किया। इससे पहले जब राज्यसभा में पीएम ने आंदोलनजीवी शब्द का प्रयोग किया था तो काफी बवाल हुआ था। किसान संगठनों से लेकर विपक्ष ने पीएम मोदी पर हमला बोला था। आज लोकसभा में पर बोलते हुए पीएम मोदी ने आंदोलनजीवी शब्द का न केवल प्रयोग किया बल्कि ये भी बताया कि आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी में क्या फर्क होता है।
पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल, अर्थव्यवस्था, कोरोना महामारी और कृषि कानूनों पर अपनी बात रखी। डेढ़ घंटे लंबे अपने भाषण के दौरान के दौरान पीएम मोदी ने किसान आंदोलन पर काफी कुछ कहा। उन्होंने कहा कि आशंकाओं को हवा दी जाती है कि यह हो जाएगा, वह हो जाएगा। यह माहौल आंदोलनजीवी ही पैदा करते हैं।
मोदी का सवाल, जो लोग जेल में हैं उनकी तस्वीरें क्योंपीएम मोदी ने कहा कि कृषि कानूनों की बात है…. और दंगावाद लोग जो जेल में हैं। संप्रदायवाद लोग जो जेल में, जो आतंकवादी जेल में हैं, जो नक्सलवादी जेल में हैं उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना यह किसानों की मांग को अपवित्र करने का काम है या नहीं। उन्होंने कहा कि इस देश में टोल प्लाजा सभी सरकारों की व्यवस्था है, उस टोल प्लाजा को तोड़ना, उस पर कब्जा करना, उस टोल प्लाजा को न चलने देना यह तरीके क्या पवित्र आंदोलन करने को कलंकित करने का काम नहीं है?
किसानों को दिया संदेशपीएम मोदी ने कहा कि पंजाब की धरती पर सैकड़ों टावरों को तोड़ना क्या सुसंगत है, क्या किसान के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनजीवियों ने नहीं किया है। देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाना जरूरी है।
कृषि सुधारों पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सालों से हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है। उसे बाहर लाने के लिए कुछ प्रयास करने होंगे। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को खत्म करने के लिए हमें प्रयास करना होगा। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कानून के कलर पर तो बहुत चर्चा कर रहे हैं, ब्लैक है कि वाइट है.. अच्छा होता उसके कॉन्टेंट और इन्टेंट पर चर्चा करते। दादा (अधीर रंजन चौधरी) ने भी भाषण किया। वह ज्यादातर इस पर लगे रहे कि पीएम और उनके साथी बंगाल क्यों जा रहे हैं। दादा तो इसी पर लगे रहे। दादा के ज्ञान से हम वंचित रह गए। इस पर सदन में बैठे सत्तापक्ष के सदस्यों के चेहरों पर मुस्कान आ गई।
कानून में कुछ खराब तो बताओ- पीएमहम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है। ये देश देशवासियों का है। हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं, अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है। कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है।
साभार : नवभारत टाइम्स