सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली HC के फैसले पर लगाई रोक, गरीब स्टूडेंट्स को फ्री गैजेट्स और इंटरनेट देने से जुड़ा है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली HC के फैसले पर लगाई रोक, गरीब स्टूडेंट्स को फ्री गैजेट्स और इंटरनेट देने से जुड़ा है मामला
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नई दिल्ली
ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें हाई कोर्ट ने राजधानी दिल्ली के गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिया था कि वह गरीब स्टूडेंट्स को फ्री गजेट और फ्री इंटरनेट सुविधा मुहैया कराएं ताकि वह कर सकें और खर्चे के भुगतान के लिए दिल्ली सरकार के सामने दावा पेश करे।

दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में सुनवाई का फैसला किया और हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने अर्जी दाखिल कर कहा कि इस फैसले पर रोक लगाई जाए क्योंकि इससे पब्लिक मनी के दुरुपयोग का पिंडोरा बॉक्स खुल जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एक ही क्लास में स्टूडेंट अलग थलग नहीं किए जा सकते जिनके पास गजट और नेट न हो। ऐसे स्टूडेंट अपने आप को हीन भावना से ग्रसित समझेंगे और इससे उनके दिमाग और दिल पर विपरीत असर होगा। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि इस फैसले से पिंडोरा बॉक्स खुलेगा और भुगतान के कारण पब्लिक मनी का दुरुपयोग होने लगेगा।

दिल्ली हाई कोर्ट में एनजीओ की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि ऐसे बच्चे जो जरूरतमंद हैं उन्हें गजट दिया जाए और नेट की सुविधा हो ताकि वह ऑनलाइन क्लास कर सकें। जो स्टूडेंट ईडब्ल्यूएस कैटगरी में आते हैं उनके लिए ये सुविधा मांगी गई थी। दिल्ली सरकार की अपील में कहा गया था कि ऑनलाइन क्लास का फैसला प्राइवेट स्कूलों ने खुद लिया था और इसके लिए दिल्ली सरकार ने कभी भी निर्देश जारी नहीं किया था। इस तरह के स्वैच्छिक फैसले राइट टु एजुकेशन एक्ट के दायरे से बाहर की बात है। सरकार ने कहा कि अगर प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन देने की क्षमता रखते हैं तो उनकी जिम्मेदारी है कि वह ईडब्ल्यूएस कैटगरी को भी ये सहूलियत दें। इसके खर्चे का दायित्व सरकार पर नहीं है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 सितंबर को दिए अपने अहम आदेश में कहा था कि कोरोना के समय आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के स्टूडेंट्स की परेशानी को देखते हुए निर्देश दिया जाता है कि प्राइवेट स्कूल गरीब स्टूडेंट्स को लैपटॉप, मोबाइल व हाई स्पीड वाले इंटरनेट की सुविधा प्रदान करे ताकि वह ऑनलाइन क्लास अटेंड कर सकें। इन सुविधाओं से वंचित गरीब स्टूडेंट्स को उसी क्लास के बाकी स्टूडेंट्स से अलग करता है और गरीब स्टूडेंट हीन भावना से ग्रसित होते हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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