जब घर पर गिरा बम…अफगानिस्तान में बाल-बाल बचे थे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी

जब घर पर गिरा बम…अफगानिस्तान में बाल-बाल बचे थे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी
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नई दिल्ली
भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति अफगानिस्तान में बमबारी में एक बार बाल-बाल बचे थे। इस बमबारी में उनका घर का आधा हिस्सा उड़ गया था। उस वक्त अंसारी काबुल में राजदूत के तौर पर तैनात थे। एक इंटरव्यू में पूर्व उपराष्ट्रपति ने ये बातें साझा की है।

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की टीचर बनने की इच्छा थी, लेकिन उनकी मां ने एक बार कहा कि तुम्हें सिविल सर्विस में जाना चाहिए, जिसके बाद उनके एक प्रोफेसर ने उन्हें इसके लिए राजी किया। हामिद अंसारी को सिविल सर्विस की परीक्षा देने का दिल नहीं था, लेकिन उन्होंने परीक्षा दी।

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आईएएनएस को बताया, ‘जिस वक्त मैं यूनिवर्सिटी में था, तब मुझे पीएचडी करना था। उसके बाद यूनिवर्सिटी में ही टीचिंग करने की इच्छा थी, मगर मेरी मां का ख्याल था कि मैं सिविल सर्विस में जाऊं। इसके लिए मेरे एक प्रोफेसर ने मुझे राजी किया और कहा कि, मैं सिविल सर्विस की परीक्षा में बैठ जाऊं, हालांकि मैं परीक्षा में बैठ तो गया था। लेकिन परीक्षा के लिए ज्यादा पढ़ाई नहीं कि थी, क्योंकि दिल नहीं था,लेकिन मैं पास भी हो गया।’

हामिद अंसारी ने एक और पहलू साझा करते हुए बताया कि वो काबुल में राजदूत थे और 5 मिनट के फर्क से बमबारी से बच गए थे। यदि वे उस जगह पर रहते तो मारे जाते, उनके घर पर बमबारी हुई थी। उन्होंने आगे बताया, ‘5 मिनट पहले मैं घर से निकल गया, क्यों निकला पता नहीं? हवाई जहाज से हुए उस हमले में मेरे घर का आधा हिस्सा उड़ गया था, किस्मत थी जो बच गया।’

हामिद अंसारी के अनुसार उनकी जिंदगी मे बहुत से छोटे मोटे शिड्यूल एक्सिडेंट हुए हैं, इन्हीं की वजह से उन्होंने अपनी नई किताब का नाम रखा है। दरअसल उनके बच्चे चाहते थे कि वह किताब लिखें। उन्होंने बताया कि, मैंने अपनी किताब कोविड-19 से पहले ही खत्म कर दी थी, लेकिन कोविड-19 में सब कुछ बन्द होने के कारण मेरी किताब अब जाकर आई है।

मुसलमानों में असुरक्षा वाले बयान पर उन्होंने कहा, ‘मैंने इसमें कोई नई बात नहीं कही, आप मेरी स्पिचेस देखेंगे तो 10 साल में मैंने 500 बार स्पीच दी है, तीन किताबें स्पिचेस की छप चुकीं है। मैंने बहुत से मुद्दों पर बोला है, जिसमें कुछ सोशल और कुछ राजनीतिक थे, उसपर मैंने स्पिचेस दीं हैं।’ अंसारी ने आगे कहा कि जो लोग लेकर उड़ गए हैं कि अपने आखिरी दिन क्यों कहा? ये बिल्कुल गलत है। उन सभी ने न मेरी किताब पढ़ी है और न मेरी स्पीच सुनने की जहमत उठाई, मेरी हर स्पीच रिकॉर्ड पर है।

हालांकि जब उनसे सरकार के कृषि कानून पर पूछा गया तो उन्होंने अपनी राय रखते हुए कहा कि हर नागरिक ने देखा है जो हो रहा है, इसपर सबकी राय अलग-अलग है। क्या किसान और सरकार के बीच दूरियां बन रही हैं? इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि मैं ये कैसे कहूं? दोनों ही नागरिक हैं। लेकिन इस बात को इस हद तक पहुंचना नहीं चाहिए था, हल निकालना चाहिए था।

पूर्व उपराष्ट्रपति का कहना है कि सरकार के सामने यह पहली समस्या नहीं है। हर स्टेज पर समस्याएं आती रही हैं, कभी कभी समस्याएं कंट्रोल के बाहर चली जाती हैं। लेकिन इस मसले पर मुझे लग रहा है कि समस्या कंट्रोल के बाहर हो चुकी हैं। हामिद अंसारी के अनुसार इस तरह के कानून लाने से पहले आप पार्लियामेंट में अच्छी तरह बहस होनी चाहिए थी। हर वर्ग की इसमें राय लेनी चाहिए थी।

अंसारी ने अपने कैरियर की शुरूआत भारतीय विदेश सेवा के एक नौकरशाह के रूप में 1961 में की थी, जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। वे ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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