पुजारा स्टाइल में निर्मला की बैटिंग, बजट में नहीं दिखा ऋषभ पंत वाला तूफान

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नई दिल्ली
आप सोच रहे होंगे बजट का चेतेश्वर पुजारा या ऋषभ पंत से क्या लेना -देना है? सीधे तौर पर नहीं है पर आजकल दोनों की अलहदा स्टाइल पॉलिटिक्स से लेकर बजट तक में फोकल पॉइंट है। दरअसल पॉलिसि बनाने वालों को लेफ्ट-राइट हैंड के इस कॉम्बिनेशन ने एप्रोच को लेकर सीख दी है। और यही बात बजट से पहले चीफ इकॉनमिक एडवाइजर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने की थी। उनका दावा था कि बजट में चेतेश्वर पुजारा का धैर्य और ऋषभ पंत की आक्रामकता दोनों दिखाई देगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पंत नॉन स्ट्राइक पर ही रह गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुजारा के स्टाइल पर ही भरोसा जताया।

किसी बिग बैंग बजट की उम्मीद अगर थी तो अब वो जाती रही। दरअसल जब राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit in ) जीडीपी के 9.5 परसेंट पर पहुंच जाए तो पंत वाली बैटिंग स्टाइल के लिए जगह बचती भी नहीं है। हालांकि सुब्रमण्यन ने कहा था कि जब तक गेंद स्विंग करेगी तब तक पुजारा की तरह संभल कर खेला जाएगा और जैसे ही सीम घिसेगी आपको ऋषभ पंत वाली बैटिंग देखने को मिलेगी। पर वित्त मंत्री ने संभल कर ही खेलना ज्यादा सही समझा।

टैक्स पेयर्स के पसीने को पोंछने की कोशिश नहीं की गई। उम्मीद थी कि स्टैंडर्ड डिडक्शन ( standard deduction limit ), 80सी ( 80 C Income Tax ) या नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) में निवेश पर इनकम टैक्स छूट की सीमा कम से कम 50 हजार रुपए बढ़ जाएगी। खास कर तब जब इनकम टैक्स फाइल ( Income Tax Filing ) करने वालों की संख्या कोरोनावायरस (Coronavirus) के बावजूद काफी बढ़ी है। सैलरीड क्लास को उम्मीद थी कि ऋषभ पंत की तरह अटैकिंग मोड में सीतारमण इनकम टैक्स में बड़ी छूट देंगी जिससे इन हैंड सैलरी बढ़ेगी और मार्केट में डिमांड बढ़ेगी। पर रेवन्यू लॉस ने शायद उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।

पुजारा का ट्रेडिशनल स्टाइल
वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट देने के बदले कैपिटल एक्सपेंडीचर बढ़ाने पर ही भरोसा दिखाया। उनको उम्मीद है कि 2021-22 में 35 लाख करोड़ रुपए के खर्च से रोजगार भी पैदा होगा और डिमांड भी बढ़ेगी। रेवन्यू बढ़ाने के लिए पेट्रोल-डीजल पर सेस लगाया गया है और कस्टम ड्यूटी में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। मतलब सीधा है। सीतारमण ने चेतेश्वर पुजारा की तरह ट्रेडिशनल मेथड को अपनाया। राहत मिली तो 75 साल से ज्यादा उम्र के सीनियर सिटिजन्स को जिन्हें इनक टैक्स फाइल करने की जरूरत अब नहीं है।

निर्मला सीतारमण ने धैर्य और संयम दिखाते हुए कुछ सर्विस सेक्टर और सैलरीड क्लास की जगह खेत-खलिहान पर फोकस किया है। रूरल इकॉनमी बूस्ट करने के लिए किसान को फोकस में रखा गया। इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत रेल-रोड विस्तार पर बजट राशि बढ़ाई गई। हेल्थ सेक्टर को छोड़ दें तो मोदी सरकार कोई और नई योजना के ऐलान से दूर रही ताकि अतिरिक्त खर्च न हो।

साभार : नवभारत टाइम्स

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