कृषि कानूनों के फायदे गिना तोमर का पवार पर निशाना, किसानों को सही चीज बताइए

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नई दिल्लीकेंद्रीय कृषि मंत्री () ने एक बार फिर तीनों कृषि कानूनों () के फायदे गिनाए हैं। एनसीपी चीफ () ने शनिवार को कहा था कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य () पर बुरा असर डालेंगे और मंडी सिस्टम को कमजोर कर देंगे। पवार के आरोपों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कई ट्वीट किए और उनसे अपील की कि वह किसानों के सामने सही तथ्य रखें।

कृषि मंत्री ने ट्वीट किया, ‘शरद पवार जी वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व कृषि मंत्री हैं। उन्हें कृषि से जुड़े मामलों और समाधानों का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने खुद भी अपने कार्यकाल के दौरान कई कृषि सुधारों की पहल की। वो अपने अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर अपनी बात रखते हैं, हालांकि तीन कृषि कानूनों पर उनके भ्रामक ट्वीट देखकर अचंभा हुआ। मैं उनके आरोपों पर कुछ तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा।’

कृषि मंत्री ने गिनाए कृषि कानूनों के फायदे
कृषि मंत्री ने लिखा, ‘नए कानून किसानों के लिए अपनी फसल बेचने के लिए नई व्यवस्था का विकल्प देने वाले हैं। इसके तहत वे अपनी फसल राज्य के बाहर भी कहीं भी, किसी को भी आसानी से बेच सकेंगे। इससे उन्हें अपनी फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इससे मौजूदा एमएसपी व्यवस्था को कोई नुकसान नहीं होगा।’ तोमर ने आगे कहा, ‘नई व्यवस्था के तहत मंडियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके विपरीत इनमें प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सर्विस और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में इनमें बचत ही होगी। नए कानूनों के अंतर्गत दोनों व्यवस्थाएं किसानों के हित में साथ-साथ चलती रहेंगी।’

तोमर ने कहा, अब किसानों को सही चीज बताएं पवार
उन्होंने कहा, ‘वह (शरद पवार) एक वरिष्ठ नेता हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें सचमुच इसको लेकर गुमराह किया गया है। अब जबकि उनके पास सही तथ्य हैं, मुझे उम्मीद है कि वह अपना रुख बदलेंगे और इन कानूनों के फायदे किसानों को भी बताएंगे।’ दरसअल पवार ने कहा था कि नए कानून एमएसपी पर फसल खरीद करने के ढांचे पर बुरा असर डालेंगे। इससे मंडी प्रणाली कमजोर हो जाएगी। उन्होंने एमएसपी को सुनिश्चित करने और इस व्यवस्था को कहीं अधिक मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया।

पवार ने कृषि कानूनों पर क्या कहा था?
पवार ने ट्वीट किया , ‘सुधार एक सतत प्रक्रिया है और एपीएमसी या मंडी प्रणाली में सुधारों के खिलाफ कोई भी व्यक्ति दलील नहीं देगा, लेकिन इस पर एक सकारात्मक बहस का यह मतलब नहीं है कि यह प्रणाली को कमजोर या नष्ट करने के लिए है।’ पूर्व कृषि मंत्री ने ट्वीट किया, ‘मेरे कार्यकाल के दौरान, विशेष बाजार स्थापित करने के लिए मसौदा एपीएमसी नियमावली-2007 तैयार की गई थी, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचेने के लिए वैकल्पिक मंच उपलब्ध कराया जा सके और मौजूदा मंडी प्रणली को मजबूत करने के लिए भी अत्यधिक सावधानी बरती गई थी।’

साभार : नवभारत टाइम्स

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