SC से बोले कुणाल कामरा- अगर सीमा लांघी है तो इंटरनेट बंद कर दें, पोस्टकार्ड लिखूंगा

SC से बोले कुणाल कामरा- अगर सीमा लांघी है तो इंटरनेट बंद कर दें, पोस्टकार्ड लिखूंगा
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नई दिल्ली
की अवमानना मामले में स्टैंडअप कमीडियन ने हलफनामा पेश कर कहा है कि उन्होंने जो ट्वीट किया था, वह सुप्रीम कोर्ट के प्रति आम जनता के भरोसा को कम करने की मंशा से नहीं किया था। कामरा ने कहा कि अगर उन्होंने सीमा लांघी है तो उनका इंटरनेट बंद कर दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामा में कामरा ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि उसने सीमा लांघी है और उसके इंटरनेट अनंत काल तक के लिए बंद करना चाहती है तो ऐसी स्थिति में वह कश्मीरी दोस्तों की तरह हर साल 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं का पोस्ट कार्ड लिखा करेंगे।

कामरा ने कहा कि लोकतंत्र में किसी भी तंत्र के लिए ये सोचना कि वह आलोचना से ऊपर है, ठीक उसी तरह है जैसे बिना किसा योजना के लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को घर जाने का उपाय तलाश करने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट में कुणाल कामरा ने अपने जवाब में कहा कि उनके किसी भी आलोचना वाले ट्वीट से सुप्रीम कोर्ट की नींव हिल जाएगी, ऐसा कहना उनकी योग्यता को ज्यादा करके आंकने जैसा होगा।

कामरा ने कहा कि जूडिशिरी के प्रति लोगों का जो सम्मान है, वह उसके खुद के काम के वजह से है। लोगों की आलोचना से पब्लिक का भरोसा खत्म नहीं होता है। अपने हलफनामा में कामरा ने कहा कि जनता का विश्वास संस्थान में उसके काम की वजह से होता है। मेरी ऐसी क्षमता नहीं है कि दुनिया की सबसे मजबूत संस्थान सुप्रीम कोर्ट की बुनियाद मेरे आलोचना से हिल जाए।

कामरा ने आगे कहा, ‘ लोगों के भरोसे का अदालत सम्मान करती है और ऐसे में उसे इस बात का विश्वास करना चाहिए कि टि्वटर के कुछ मजाकिये जोक्स के बेसिस पर कोई राय न बनाएं। उन्होंने कहा कि व्यंग्य हास्य की प्रस्तुति है। हास्य कलाकार अपने अलग अंदाज से लोकहित के मामले से जुड़े सवाल उठाता है। यदि शक्तिशाली व्यक्ति और संस्थान आलोचना सहने की अपनी योग्यता नहीं दिखाएंगे तो फिर ऐसे देश में हम होंगे जहां कालाकार को रोका जाएगा और दूसरों की कठपुतली बने लोगों को तरजीह मिलेगी।’

स्टैंडअप कमीडियन ने कहा कि कई फैसलों से असहमत हो सकता हूं, लेकिन मैं मुस्कुराते हुए स्वागत करूंगा। इस देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और नाराज होना मौलिक अधिकार माना जा रहा है। मैं जिस भाषा और शैली में बोलता लिखता हूं, उसकी मंशा अपमान करना नहीं है। लोकतंत्र में जो प्रासंगिक है, उसे उठाता हूं। मैं जिस शैली का इस्तेमाल करता हूं या जो भाषा लिखता हूं, उसकी मंशा किसी का अपमान करना कतई नहीं है बल्कि लोकतंत्र में जो भी औचित्यपूर्ण है, उसे उठाता हूं।

कामरा ने कहा कि लोगों की आलोचना भर से न्यायपालिका पर भरोसा खत्म नहीं हो जाता है। हलफनामा में कामरा ने माफी नहीं मांगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रक्षिता तनेजा के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कंटेप्ट नोटिस जारी किया था। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने इन दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था।

दोनों के खिलाफ अलग-अलग अवमानना याचिकाएं दायर की गई थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कामरा के खिलाफ दाखिल अर्जी पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी। वहीं रक्षिता के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करें। रक्षिता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बुनियाद बेहद मजबूत है और आलोचना से उसकी अवमानना नहीं हो सकती है। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देखने में आ रहा है कि आजकल आलोचना के मामले बढ़ रहे हैं।

12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में कुणाल कामरा के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी सहमति दे दी थी। जर्नलिस्ट अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत दिए जाने के बाद कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा था कि कुणाल कामरा ने जो ट्वीट किया है, वह बेहद आपत्तिजनक है और ऐसे में कुणाल कामरा के खिलाफ अदालत के अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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