बजट 2017: परंपराओं को तोड़कर जेटली ने देश को दिए ये 7 सरप्राइज
नई दिल्ली : नोटबंदी की मार से प्रभावित छोटी कंपनियों और निजी कर में राहत देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक पार्टियों को नई बयार का एहसास कराया है। लीक से हटकर चल रहे वित्तमंत्री ने परंपराओं को तोड़ा है और मध्यम वर्ग को राहत देने के साथ चौंकाने वाले फैसले लिए। वित्तमंत्री ने पढ़ा – ‘डरते हैं नई राह पे क्यूं चलने से, हम आगे-आगे चलते हैं, साथ आइए आप।’
अरुण जेटली की झोली से निकले सरप्राइज
1. आम कर दाता के लिए बड़ी राहत, पांच लाख तक की आय वालों का कर बोझ आधा कर दिया, एक झटके में दूसरी और तीसरी टैक्स स्लैब जस की तस है, लेकिन इन दोनों स्लैबों में आने वाले कर दाताओं को भी पहली स्लैब की कर कटौती का फायदा मिलेगा।
2. मोटे तौर पर देखें, में बजट में बुरी खबर सिर्फ उन राजनीतिक दलों के लिए है जो अपने चंदे का सही हिसाब नहीं देते। नए नियमों के तहत कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी एक व्यक्ति या एजेंसी से 2000 रुपये से अधिक नकद चंदा नहीं ले सकती। इससे ऊपर की राशि चेक या डिजिटल से ली जा सकती है।
3. वित्तमंत्री ने आम कर दाता के सिर पर लटकती सर्विस टैक्स की तलवार को हटा दिया है। माना जा रहा था कि जीएसटी की तैयारी के तहत सर्विस टैक्स की दर में वृद्धि की जा सकती है, लेकिन उसे छुआ तक नहीं गया।
4. कहा जाए तो ये बजट गैरपारंपरिक है। जिसमें वित्तमंत्री ने सेवाकर और 80सीसी को छुआ तक नहीं है। वहीं वित्तमंत्री ने छोटे उद्यमियों और छोटी कंपनियों को टैक्स में छूट दी है।
5. माना जा रहा था कि आम बजट में रेल बजट का एक बड़ा हिस्सा होगा, लेकिन वित्तमंत्री ने जो घोषणाएं की उसमें रेलवे का हिस्सा नगण्य रहा है। हालांकि उन्होंने रेलवे संरक्षा के लिए एक बड़ी राशि दी है।
6. वित्तमंत्री ने छोटी कंपनियों को बड़ी राहत दी है। 50 करोड़ टर्नओवर वाली SME कंपनियों पर लगने वाले टैक्स में वित्तमंत्री ने 5 प्रतिशत की छूट दी है। पहले ये 30 प्रतिशत था, जो अब घोषणा के मुताबिक 25 प्रतिशत हो जाएगा।
7. बजट का सबसे चौंकाने वाला फैसला ये रहा कि स्वयं एक बड़ी राजनीतिक पार्टी होते हुए भी वित्तमंत्री ने राजनीतिक चंदे को लेकर नए प्रावधान लाए हैं। अब 2000 रुपये से ज्यादा का चंदा नकद नहीं ले पाएंगी पार्टियां, हालांकि अब पार्टियों को चंदे के रूप में बॉन्ड दिए जा सकते हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री लंबे समय से राजनीतिक चंदे के भुगतान में पारदर्शिता का मुद्दा उठाते रहे हैं।