corona मरीज के घर के बाहर पोस्टर चस्पा करना अछूत जैसा व्यवहार : सुप्रीम कोर्ट

corona मरीज के घर के बाहर पोस्टर चस्पा करना अछूत जैसा व्यवहार : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली
कोरोना मरीजों (Coronavirus Patient) के घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान (Supreme Court) ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने से गलत अवधारणा बन रही है। ऐसे लोगों के घर के बाहर जब पोस्टर चस्पा दिया जाता है तो दूसरे लोग ऐसे लोगों से अछूत की तरह व्यवहार करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अपने जवाब में कहा गया है कि उनकी ओर से इस संबंध में ऐसा कोई आदेश नहीं है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहां पोस्टर लगाया जाता है, वह लांछन लगाने के लिए या ऐसे इरादे से नहीं किया जाता होगा, बल्कि ऐहतियात के तौर पर पोस्टर लगाया जाता हो, ऐसा संभव है। अगर ऐसे मरीज के घर वालों पर किसी भी तरह के लांछन लगने की बात है तो केंद्र ऐसे मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर चस्पाने के फेवर में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह केंद्र सरकार के जवाब पर अपना स्टैंड रखे। सुनवाई अब गुरुवार को होगी।

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क्यों न कोविड मरीज के घर के बाहर पोस्टर लगाना खत्म किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 मरीजों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाए जाने के प्रावधान को खत्म करने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्यों न कोविड मरीज के घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने के प्रावधान को खत्म किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में पांच नवंबर को जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई लवाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह याचिका की कॉपी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को उपलब्ध कराएं, ताकि केंद्र सरकार का पक्ष रख सकें। इस मामले में याचिकाकर्ता वकील कुश कालरा ने अर्जी दाखिल कर कोविड-19 मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने के प्रावधान को चुनौती दी है।

‘कोविड-19 मरीज की निजता के अधिकार का उल्लंघन’सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कुश कालरा ने दलील दी है कि इस तरह के प्रावधान से कोविड-19 मरीज की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और उनका मान सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार यानी अनुच्छेद-21 का उल्लंघन हो रहा है। याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई कि केंद्र शासित प्रदेश और राज्यों के इस फैसले को खारिज किया जाए जिसके तहत कोविड-19 मरीज के घर के बाहर पोस्टर लगाने का प्रावधान है। याचिकाकर्ता ने आरडब्ल्यूए द्वारा वाट्सएप ग्रुप में कोविड मरीज के नाम जारी करने पर भी रोक लगाने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह के प्रावधान और कार्रवाई से लोगों का उन पर ध्यान जाता है और उनके प्राइवेसी का उल्लंघन होता है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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