'फ्रांस में पाकिस्तानी नागरिकों की एंट्री पर लगे बैन', विपक्षी नेता की मांग को मिल रहा समर्थन
फ्रांस में आतंकी हमलों की बढ़ती संख्या के बाद अब प्रवासियों की एंट्री पर प्रतिबंध की मांग तेज होती दिख रही है। इस बीच फ्रांस की विपक्षी नेता ने पाकिस्तान से आने वाले प्रवासियों पर रोक की मांग कर नई बहस छेड़ दी है। शुक्रवार को ही इस्लामाबाद में हजारों लोगों की हिंसक भीड़ ने फ्रांसीसी दूतावास पर हमले का प्रयास किया था। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इन दिनों लगातार फ्रांस के खिलाफ बयान दे रहे हैं।
पाकिस्तानी नागरिकों पर रोक लगाने की मांग
मरीन ले पेन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि बांग्लादेश में आज हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए मैं राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले प्रवासियों पर तत्काल रोक लगाने की मांग करती हूं। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने फ्रांसीसी राजदूत का गला काटने की बात की। उनके इस मांग को बड़ी संख्या में फ्रांसीसी लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।
पाकिस्तान में फ्रांसीसी दूतावास पर हमले की कोशिश
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में प्रदर्शन हिंसक हो गया जब करीब 2000 लोगों ने फ्रांस के दूतावास की ओर जाने की कोशिश की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठियां चलायी। पाकिस्तान के लाहौर में प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और कई सड़कों को अवरूद्ध कर दिया। मुल्तान में प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का पुतला जलाया।
बांग्लादेश में लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में कई दिनों से फ्रांस के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में करीब 50,000 लोग शामिल हुए और मैक्रों का पुतला फूंका। लोगों ने नस्लवाद रोकने और इस्लाम के खिलाफ नफरत रोकने के नारे लगाए और फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की।
मैक्रों के खिलाफ मुस्लिम देशों में विरोध तेज
फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ मुस्लिम देशों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने अपने देश में हुए सभी आतंकी हमलों को इस्लामिक आतंकवाद का नाम दिया था। इसी से मुस्लिम देश चिढ़े हुए हैं। उन्होंने कहा था कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिससे आज पूरी दुनिया में संकट में है। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें डर है कि फ्रांस की करीब 60 लाख मुसलमानों की आबादी समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ सकती है। इसी के बाद से फ्रांसीसी राष्ट्रपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।