पाकिस्तान: 13 साल की ईसाई लड़की का अपहरण, 44 साल के शख्स ने धर्म परिवर्तन कर रचाया निकाह

पाकिस्तान: 13 साल की ईसाई लड़की का अपहरण, 44 साल के शख्स ने धर्म परिवर्तन कर रचाया निकाह
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इस्लामाबाद
में रहने वाले हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों पर धार्मिक अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। धर्म परिवर्तन के लिए बदनाम सिंध सूबे की राजधानी कराची में 13 साल की एक ईसाई लड़की का 44 साल के एक अधेड़ ने अपहरण कर लिया। जिसके बाद उसने जबरदस्ती लड़की का धर्म परिवर्तन करवाया और उससे निकाह रचाई।

कराची और इस्लामबाद में विरोध प्रदर्शन
इतना ही नहीं, आरोपी ने पुलिस के बचने के लिए लड़की की उम्र 18 साल बताते हुए एक फर्जी विवाह प्रमाणपत्र तैयार करवाया। इसमें लिखा था कि यह लड़की 18 साल की है और उसने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला है। इस मामले के सामने आने के बाद कराची और इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। लड़की के परिवारीजनों ने इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली।

कोर्ट ने नहीं की लड़की के माता-पिता की मदद
पाकिस्तानी कोर्ट ने इस शादी के खिलाफ कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि लड़की के पति के अनुसार, उसने यह शादी अपनी मर्जी के की है। इसलिए, हम इसे खत्म नहीं कर सकते हैं। कागज में भी लड़की की उम्र 18 साल बताई गई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि कोर्ट में लड़की ने अपनी मां के साथ जाने की कोशिश की लेकिन, उसके पति ने जबरदस्ती उसे अपने साथ ही रहने पर मजबूर किया।

धर्म परिवर्तन के लिए बदनाम है सिंध
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए बदनाम सिंध में यह पहली घटना नहीं है। जून के अंतिम हफ्ते में आई रिपोर्ट के अनुसार, सिंध प्रांत में बड़े स्तर पर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुस्लिम बनाए जाने का मामला सामने आया था। सिंध के बादिन में 102 हिंदुओं को जबरन इस्लाम कबूल कराया गया। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक इन लोगों में बच्चे, महिलाएं और पुरुष शामिल थे।

हर साल 1000 से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन
मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है।

आंकड़े ज्यादा हो सकते हैं
मानवाधिकार संस्था ने यह भी कहा कि आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों को पुलिस दर्ज नहीं करती है। अगवा होने वाली लड़कियों में से अधिकतर गरीब तबसे से जुड़ी होती हैं। जिनकी कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं होता है। इस कारण प्रशासनिक स्तर पर भी लापरवाही दिखाई जाती है।

पहले भी सामने आए हैं कई मामले
बता दें कि इससे पहले पंजाब के डेरा गाजी खान से 14 साल की एक ईसाई लड़की हुमा यूसूफ का अपहरण हो चुका है। जिसका धर्म परिवर्तन करवा कर एक मुस्लिम लड़के से निकाह करवा दिया गया था। इसके अलावा सना जॉन, महविश, फरजाना और सेहरिश नाम की लड़कियों के साथ भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

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