बजट में तीन लाख रुपये हो सकती है टैक्स छूट की लिमिट

बजट में तीन लाख रुपये हो सकती है टैक्स छूट की लिमिट
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली. सरकार नोटबंदी के बाद बने हालात को देखते हुये अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिये आगामी बजट में प्रत्यक्ष करों में व्यापक फेरबदल कर सकती है. आयकर छूट सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा सकता है और बैंकों में पांच साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की सावधि जमा पर कर छूट दी जा सकती है. भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट ‘ईकोरैप’ के अनुसार आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है. आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न निवेश और बचत पर मिलने वाली छूट सीमा भी बढ़ाई जा सकती है. आवास ऋण के ब्याज पर भी कर छूट की सीमा बढ़ सकती है.

एसबीआई की ईकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा मौजूदा 2.5 लाख रपये से बढ़कर तीन लाख रुपये सालाना हो सकती है. धारा 80सी के तहत विभिन्न बचतों और निवेश पर मिलने वाली कर छूट सीमा 1.5 लाख से बढ़कर दो लाख रुपये की जा सकती है. आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाली कर छूट सीमा दो लाख से बढ़कर तीन लाख रुपये की जा सकती है. इसके अलावा बैंकों में पांच साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की जमा पर कर छूट मिल सकती है.’

स्टेट बैंक शोध की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महा प्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांती घोष ने तैयार किया है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस तरह की छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा लेकिन हमें आय घोषणा योजना-दो के राजस्व और रिजर्व बैंक की निरस्त नोट देनदारी से संतुलित होने की उम्मीद है.’ एसबीआई शोध के अनुसार आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत करीब 50,000 करोड़ रुपये की कर वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है.

नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ारने के लिये प्रत्यक्ष करों में यह फेरबदल हो सकता है. वर्तमान में ढाई लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर कोई कर नहीं है. ढाई लाख से पांच लाख तक 10 प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है. नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर बदल गई है. चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले साल यह 7.6 प्रतिशत रही थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बजट को लेकर चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं.

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.