थाईलैंड में PM के इस्तीफे की मांग पर बवाल, प्रदर्शनकारियों ने गवर्नमेंट हाउस घेरा, भागे पुलिसकर्मी
थाईलैंड में पिछले तीन महीनों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शन अब चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। बुधवार को हजारों की तादाद में लोगों ने गवर्नमेंट हाउस को घेर लिया। जिसके कारण पुलिस को भी पीछे हटना पड़ा है। प्रदर्शनकारी देश का नया संविधान बनाने और दोबारा चुनाव करने की मांग पर अड़े हैं। गवर्नमेंट हाउस को थाईलैंड में सरकार का आधिकारिक परिसर माना जाता है। इसी परिसर में प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सभी मंत्रालय स्थित हैं। बताया जा रहा है कि 2014 के बाद से यह थाईलैंड में सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक है।
Thailand Anti Government Protest: थाईलैंड में पिछले तीन महीनों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शन अब चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। बुधवार को हजारों की तादाद में लोगों ने गवर्नमेंट हाउस को घेर लिया। जिसके कारण पुलिस को भी पीछे हटना पड़ा है। प्रदर्शनकारी देश का नया संविधान बनाने और दोबारा चुनाव करने की मांग पर अड़े हैं।
थाईलैंड में पिछले तीन महीनों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शन अब चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। बुधवार को हजारों की तादाद में लोगों ने गवर्नमेंट हाउस को घेर लिया। जिसके कारण पुलिस को भी पीछे हटना पड़ा है। प्रदर्शनकारी देश का नया संविधान बनाने और दोबारा चुनाव करने की मांग पर अड़े हैं। गवर्नमेंट हाउस को थाईलैंड में सरकार का आधिकारिक परिसर माना जाता है। इसी परिसर में प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सभी मंत्रालय स्थित हैं। बताया जा रहा है कि 2014 के बाद से यह थाईलैंड में सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक है।
प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर अड़े प्रदर्शनकारी
राजधानी बैंकाक में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस की तैनाती की गई है। लेकिन, प्रदर्शनकारियों की बढ़ती तादाद के आगे उनकी एक नहीं चल रही है। प्रदर्शनकारी साफ लहजे में प्रधानमंत्री प्रयुत्त चान-ओ-चा के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। कोरोना वायरस की मार से त्रस्त लोग सरकारी भ्रष्टाचार से नाराज होकर सड़कों पर उतर आए हैं। उनका आरोप है कि सरकार की तरफ से उन्हें इस मुसीबत से निकालने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। जबकि देश में नौकरशाही में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है।
थाईलैंड में क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
पहले थाईलैंड की सेना प्रमुख रहे प्रयुत्त चान-ओ-चा 2014 में तख्तापलट कर देश की सत्ता हथिया ली थी। उनके ही नेतृत्व में 2016 में थाईलैंड का नया संविधान तैयार हुआ था। जिसमें कई ऐसे नियम बनाए गए थे जो मानवाधिकार के खिलाफ थे। इसमें सरकार और राजा की आलोचना करने वालों को गंभीर सजा देने का प्रावधान भी है। थाईलैंड में 2019 में चुनाव भी हुए थे जिसमें प्रयुत्त की पार्टी को जीत मिली थी। हालांकि, लोगों का आरोप है कि सरकार ने अपनी ताकत के बल पर गड़बड़ी करवा कर चुनाव में जीत हासिल की थी। तभी से उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है।
थाईलैंड में इमरजेंसी है लागू
थाईलैंड में सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण का बहाना बनाकर इमरजेंसी लागू की हुई है। जिससे लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ लगाने या किसी विरोध प्रदर्शन को आयोजित करने पर पाबंदी है। हालांकि, लोगों ने पाबंदियों की परवाह न करते हुए पूरे जोर से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, थाईलैंड की सरकार के ऊपर न्यायपालिका पर भी दबाव बनाने का आरोप लग रहा है। कहा जा रहा है कि सरकार के इशारे पर ही विरोध प्रदर्शन आयोजित करने वाली एक पार्टी की मान्यता को खत्म किया गया है।
सेक्स सोल्जर्स के साथ विदेश में हैं थाईलैंड के राजा
भगवान विष्णु का अवतार कहे जाने वाले थाईलैंड के राजा महा वाजिरालोंगकोर्न ऊर्फ राम दशम कोरोना संकट में अपने देश की जनता को छोड़कर विदेशों में सुंदरियों के साथ छुट्टियां मना रहे हैं। राजा राम इन दिनों 20 ‘सेक्स सोल्जर’ के साथ जर्मनी में ‘आइसोलेशन’ में हैं। वह पिछले मार्च महीने से जर्मनी के एक होटल में खुद को आइसोलेट किए हुए हैं। जर्मनी के फोर स्टार होटल में राजा राम के लिए एक खास हरम बनाया गया है। इस हरम में राजा राम 20 ‘सेक्स सोल्जर’ के साथ आलीशान जिंदगी बिता रहे हैं। इसके अलावा राजा महा अपने साथ कई नौकर भी लेकर गए हैं। बताया जा रहा है कि किंग महा ने होटल ग्रैंड होटल सोन्नेबिचल का चौथा फ्लोर बुक किया है। यही नहीं उन्होंने इसके लिए डिस्ट्रिक काउंसिल से ‘विशेष अनुमति’ भी ली है।
राजा की आलोचना करने पर 15 साल की सजा
थाइलैंड में राजा की आलोचना करने पर 15 साल जेल की सजा का प्रावधान है। इसके बाद भी लोकतंत्र समर्थक लोग राजा राम के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। थाईलैंड में 18 जुलाई से ही राजा राम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारी देश में स्वतंत्र चुनाव कराए जाने, एक नए संविधान को बनाने और राजा राम की सेना के उत्पीड़न को बंद करने की मांग कर रहे हैं। देश में वर्ष 1932 से ही संवैधानिक राजतंत्र लागू है। राजा राम कोरोना महामारी के बीच विदेश में छुट्टियों को मनाने को लेकर जनता के निशाने पर हैं।