छत्तीसगढ़ में गरीब कल्याण अभियान लागू करने की मांग

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नई दिल्ली। छत्तीसगढ में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की अधिक संख्या होने का दावा करते हुए कांग्रेस के एक सदस्य ने शुक्रवार को राज्यसभा में मांग की कि इस राज्य में भी कामगारों को 125 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करने वाला गरीब कल्याण अभियान लागू किया जाना चाहिए।
राज्यसभा में शुक्रवार को शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस सदस्य के टी एस तुलसी ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान और इसे लागू करने के तरीकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके तहत 125 दिनों का रोजगार मजदूरों को दिया जा रहा है लेकिन इस योजना के लिए छह राज्यों को ही चुना गया है।

तुलसी ने कहा कि छत्तीसगढ को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है जबकि वहां इस योजना की बहुत ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पिछले दिनों लागू लॉकडाउन के कारण पांच लाख से अधिक प्रवासी मजदूर रोजगार गंवा कर वापस छत्तीसगढ लौटे हैं। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि यह भी बडा सच है कि छत्तीसगढ में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का प्रतिशत 47.9 है जो बहुत ज्यादा है।

तुलसी ने जानना चाहा कि आखिर ऐसे कौन से कारण थे जिनके चलते छत्तीसगढ को गरीब कल्याण रोजगार अभियान से वंचित कर दिया गया। उन्होंने मांग की कि गरीब कल्याण रोजगार अभियान में छत्तीसगढ को शामिल किया जाना चाहिए। भाकपा के विनय विश्वम, बीजद के सुजीत कुमार और तृणमूल कांग्रेस की अर्पिता घोष ने भी अपने अपने मुद्दे उठाए। शून्यकाल के बाद तृणमूल कांग्रेस की मौसम नूर, अगप के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा, भाजपा के डॉ विकास महात्मे ने विशेष उल्लेख के जरिये लोक महत्व से जुडे विभिन्न मुद्दे उठाए।

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