इस साल आ सकती है ऑक्सफर्ड की कोरोना वैक्सीन, ट्रायल रुके पर उम्मीद बरकरार

इस साल आ सकती है ऑक्सफर्ड की कोरोना वैक्सीन, ट्रायल रुके पर उम्मीद बरकरार
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लंदन
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के तीसरे चरण के ट्रायल को हाल ही में रोकना पड़ा है। हालांकि, इस वैक्सीन पर काम रही फार्मा कंपनी AstraZeneca के CEO पास्कल सॉरियट को वैक्सीन के जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि यह वैक्सीन इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक आ सकती है। वैक्सीन के ट्रायल को उस वरक्त रोक दिया गया था जब एक वॉलंटिअर पर इसका गंभीर असर दिखाई दिया था।

साल के अंत तक डेटा की उम्मीद
सॉरियट का कहना है कि इस साल के आखिर तक या अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन आ सकती है। उन्होंने कहा है कि ऐसे ट्रायल का बीच में रुकना आम होता है। इस बार क्योंकि पूरी दुनिया की नजरें इस ट्रायल पर हैं, इसलिए इसकी इतनी चर्चा हो रही है। इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई है कि साल के अंत तक रेग्युलेटरी अप्रूवल के लिए डेटा हासिल किया जा सकेगा।

इसलिए रुका ट्रायल
तीसरे चरण के ट्रायल में दुनियाभर में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं। वैक्सीन अभी जिस ट्रायल में है इसे पार करने के बाद सुरक्षा और असर के डेटा को मंजूरी दिलाने का काम बचेगा। ट्रायल के दौरान एक वॉलंटिअर में ट्रांसवर्स मायलाइटिस की कंडीशन पैदा हो गई थी। इसमें रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है जो इन्फेक्शन की वजह से हो सकती है।

ऐसे काम करती है वैक्सीन
यह वायरल वेक्टर पर आधारित वैक्सीन है। टीम ने SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को (जिसकी मदद से कोरोना वायरस सेल को इन्फेक्ट करता है), कमजोर adenovirus में (सामान्य जुकाम पैदा करने वाला वायरस) ट्रांसफर किया गया। जब इस adenovirus को इंसानों में इंजेक्ट किया गया तो प्रोटीन को पहचानकर इम्यून सिस्टम ने रिस्पॉन्स पैदा किया। पहले दो क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों में इससे ऐंटीबॉडी और T-cell पैदा होते पाए गए और छोटे-मोटे साइड इफेक्ट देखे गए।

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