खांसी-छींक से ही नहीं, धूल और अन्य सूक्ष्म कणों से भी फैल सकता है वायरस

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लॉस एंजिलिस
के वायरस हवा में धूल, फाइबर और अन्य सूक्ष्म कणों के माध्यम से फैल सकते हैं, न कि केवल सांस से निकलने वाले ड्रॉपलेट के माध्यम से। यह जानकारी मंगलवार को प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आई है। इन्फ्लुएंजा (फ्लू) एक श्वसन संबंधी बीमारी है जो इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होती है। इन्फ्लुएंजा वायरस दो मुख्य प्रकार के होते हैं जिनके अलग-अलग किस्म होती है।

शोध ने वायरस के फैलाव की धारणा को तोड़ा
अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विलियम रिस्टेनपार्ट ने कहा कि यह अधिकतर विषाणु (वायरस) विज्ञानियों और महामारी विशेषज्ञों के लिए स्तब्धकारी है कि हवा में धूल भी इन्फ्लुएंजा के वायरस का वाहक हो सकती है न कि महज सांस से निकलने वाले ड्रॉपलेट। रिस्टेनपार्ट ने कहा कि हमेशा से यह मानना रहा है कि वायु-जनित प्रसार सांस से निकले ड्रापलेट्स से होता है जो कफ, छींक या बातचीत के दौरान निकलता है।

धूल के माध्यम से फैल रहे वायरस
शोधकर्ताओं में माउंट सिनाई के इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं। उन्होंने गौर किया कि धूल के माध्यम से प्रसार से जांच के नये क्षेत्र खुल गए हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में लिखा कि इन्फ्लुएंजा के वायरस के बारे में माना जाता है कि ये कई विभिन्न मार्गों से फैलते हैं जिनमें श्वसन तंत्र से छोड़े गए ड्रॉपलेट्स या दूसरी वस्तुएं जैसे दरवाजे के हैंडल या इस्तेमाल किए गए टिश्यू पेपर से।

इन्फ्लुएंजा से होने वाली बीमारी
इन्फ्लुएंजा से होने वाली बीमारी हल्की से लेकर बहुत गंभीर तक हो सकती है। यह अनेक कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें वायरल स्ट्रेन, रोगी की आयु, और रोगी का स्वास्थ्य शामिल होता है। इसमें मरीज को बुखार, कंपकंपी, खांसी, गले का खराश, दर्द महसूस होना, सिर का दर्द, उल्टी और थकावट महसूस होती है। फ्लू के रोगियों को घर में रहने और आराम करने की सलाह दी जाती है, ताकि स्वस्थ भी हो सके और दूसरे लोग संक्रमित भी न हो सके।

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