देपसांग में चीनी बेस? सैटेलाइट इमेज में नया दावा

देपसांग में चीनी बेस? सैटेलाइट इमेज में नया दावा
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पेइचिंग
लद्दाख में जारी सीमा विवाद के बीच दावा किया गया है कि देपसांग इलाके में चीन ने सन 2000 में ही अपना सैन्य ठिकाना बना लिया था। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस @detresfa ने सैटेलाइट तस्वीरें जारी कर दावा किया है कि इस इलाके में चीनी सेना ने आज से 20 साल पहले ही अपना बेस बना लिया था। देपसांग इलाके में चीन ने 2013 में भी घुसपैठ की थी। तब भारतीय सेना ने चीन को पीछे खदेड़ दिया था।

2004 से चीनी सेना ने डेपसांग में मजबूत किया मोर्चा
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस @detresfa ने भौगोलिक जानकारी वाली कंपनी ESRI की सैटेलाइट तस्वीर साझा करते हुए लिखा है कि 2004 में भी इस इलाके में चीनी सेना के बेस देखे गए थे। जिसके बाद इसी इलाके में 2010 में भी चीनी सेना की गतिविधियां दिखाई दी थी। चीन ने धीरे-धीरे इस इलाके में अपनी उपस्थिति को मजबूत भी किया है।

रणनीतिक रूप से अहम है देपसांग
देपसांग पहाड़ियों के बीच स्थित जमीनी इलाका है। 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस इलाके के कुछ हिस्से पर अवैध कब्जा कर लिया था। इस इलाके के पश्चिमी हिस्से में भारतीय सेना तैनात है जबकि पूर्वी हिस्से में चीनी सेना की पोस्ट है। यहां से भारत का रणनीतिक रूप से अहम दौलत ओल्ड बेगी एयरफील्ड भी काफी नजदीक है। चीन की चाल यहां तनाव पैदा कर दौलत ओल्ड बेगी के ऑपरेशन तैयारिकों को प्रभावित करना है।

देपसांग एरिया में क्या है पेच
देपसांग में भी गतिरोध बना हुआ है। यहां चीनी सैनिकों ने पट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 12 और 13 पर भारतीय सेना की पट्रोलिंग को रोकना जारी रखा है। इन चारों पॉइंट्स पर इंडियन आर्मी परंपरागत तौर पर पट्रोलिंग करती आई है। गलवान के उत्तर में स्थित देपसांग रणनीतिक तौर पर बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि यह काराकोरम दर्रे से सटे रणनीतिक तौर पर अहम दौलत बेग ओल्डी पर भारत के पोस्ट के करीब है।

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