रूस में अक्टूबर से लगेगा कोरोना का टीका
कोरोना वायरस के बढ़ते कहर से जूझ रहे लोगों को रूस ने गुड न्यूज दी है। रूसी स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने ऐलान किया है कि रूस में इस साल अक्टूबर से बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के दौरान चिकित्साकर्मियों और शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
रूस अपनी एक्सपेरिमेंटल कोरोना वायरस वैक्सीन की 3 करोड़ डोज देश में बनाने की तैयारी में है। यही नहीं मॉस्को का इरादा विदेश में इस वैक्सीन की 17 करोड़ डोज बनाने का है। रशिया डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के हेड किरिल दिमित्रीव ने बताया है कि इस हफ्ते एक महीने तक 38 लोगों पर चला पहला ट्रायल भी पूरा हो गया। रिसर्चर्स ने पाया है कि यह इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है और प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर रही है। हालांकि, यह प्रतिक्रिया कितनी मजबूत है, इसे लेकर संशय है। अगले महीने इसे रूस और सितंबर में दूसरे देशों में अप्रूवल मिलने के साथ ही उत्पादन पर काम शुरू हो जाएगा।
यह वैक्सीन मॉस्को के Gamaleya Institute में विकसित की गई है। क्लिनिकल ट्रायल के लिए यहां डोज तैयार की जा रही हैं जबकि प्राइवेट फार्मासूटिकल कंपनियां Alium (Sistema conglomerate) और R-Pharm बॉटलिंग का काम करेंगी। दोनों इस वक्त अपनी-अपनी लैब में अगले कुछ महीनों में उत्पादन की तैयारी कर रही हैं। दिमित्रीव ने बताया कि माना जा रहा है कि Herd Community के लिए रूस में 4-5 करोड़ लोगों को वैक्सीन देनी होगी। इसलिए हमें लग रहा है कि इस साल 3 करोड़ डोज तैयार करना सही होगा और हम अगले साल वैक्सिनेशन फाइनल कर सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया है कि पांच देशों के साथ उत्पादन के लिए समझौते किए गए हैं और 17 करोड़ डोज बाहर बनाई जा सकती हैं।
रूस की गमलेई की वैक्सीन पश्चिमी देशों की तुलना में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रही है। इस वैक्सीन का फेज 3 का ट्रायल भी जारी है। इसमें रूस, सऊदी अरब और यूएई के हजारों लोग हिस्सा ले रहे हैं। माना जा रहा है कि रूस सितंबर तक कोरोना वायरस वैक्सीन बना लेगा। गमलेई सेंटर के हेड अलेक्जेंडर जिंट्सबर्ग ने सरकारी न्यूज एजेंसी TASS को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि वैक्सीन 12 से 14 अगस्त के बीच ‘सिविल सर्कुलेशन’ में आ जाएगी। अलेक्जेंडर के मुताबिक, प्राइवेट कंपनियां सितंबर से वैक्सीन का बड़े पैमाने पर प्रॉडक्शन शुरू कर देंगी। गमलेई सेंटर हेड के मुताबिक, वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल में पूरी तरह सेफ साबित हुई।
इससे पहले अमेरिकी कंपनी Moderna Inc की कोरोना वायरस वैक्सीन भी अपने पहले ट्रायल में पूरी तरह से सफल रही। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे अध्ययन में कहा गया है कि 45 स्वस्थ लोगों पर इस वैक्सीन के पहले टेस्ट के परिणाम बहुत अच्छे रहे हैं। इस वैक्सीन ने प्रत्येक व्यक्ति के अंदर कोरोना से जंग के लिए ऐंटीबॉडी विकसित किया। इस पहले टेस्ट में 45 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जो स्वस्थ थे और उनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच थी। इसका इतना कोई खास साइड इफेक्ट नहीं रहा जिसकी वजह से वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया जाए।
दिमित्रीव ने यह भी बताया कि रूस ने ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन के देश में उत्पादन के लिए Astrazeneca के साथ डील की है। ऑक्सफर्ड की दवा में वॉलंटिअर्स में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती पाई गई है। ऑक्सफर्ड के वैज्ञानिक न सिर्फ वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 (अब AZD1222) के पूरी तरह सफल होने को लेकर आश्वस्त हैं बल्कि उन्हें 80% तक भरोसा है कि सितंबर तक वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।