ऑपरेशन थंडरबोल्ट: जब मोसाद ने दिखाया दम

ऑपरेशन थंडरबोल्ट: जब मोसाद ने दिखाया दम
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

तेल अवीव
27 जून 1976, जगह- इजरायल की राजधानी तेल अवीव का बेनगुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट। रात करीब 11 बजे फ्रांस की एयरबस ए300 वी4-203 इजरायल की राजधानी तेल अवीव से ग्रीस की राजधानी एथेंस के लिए उड़ान भरी। इस फ्लाइट में 246 यात्रियों के अलावा क्रू के 12 सदस्य सवार थे। लेकिन, इन्हें यह नहीं पता था कि वे एक बड़ी मुसीबत में फंसने जा रहे हैं।

लगभग डेढ़ घंटे बाद यह फ्लाइट एथेंस पहुंची, जहां से इस प्लेन में 58 यात्रियों के साथ 4 आतंकवादी भी सवार हो गए। इनमें से 2 फलीस्तीनी लिबरेशन आर्मी से जुड़े थे जबकि 2 जर्मनी के रेवोल्यूशनरी ब्रिगेड से संबंधित थे। इन्हीं आतंकवादियों को इस प्लेन का अपहरण करना था। एथेंस से इस फ्लाइट ने जैसे ही फ्रांस की राजधानी पेरिस के लिए उड़ान भरी इन आतंकवादियों ने प्लेन को हाइजैक कर लिया।

शुरुआत में आतंकियों ने इस प्लेन को लीबिया के शहर बेनगाजी लेकर गए। जहां हाईजैकर्स की मांग पर प्लेन में फ्यूल भरा गया। सात घंटे बेनगाजी में रुकने के बाद आतंकियों ने एक महिला को बीमार होने के कारण रिहा कर दिया। इन आतंकियों ने कई अरब देशों में इस प्लेन को लैंड कराने की मांग की क्योंकि इनको यह उम्मीद थी कि इजरायल से दुश्मनी होने के कारण ये देश लैंडिंग की परमिशन दे देंगे। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक कारणों से कई देशों ने विमान के लैंडिंग से साफ इनकार कर दिया।

28 जून को दोपहर 3 बजे थक हारकर इन हाईजैकर्स ने विमान को युगांडा के एंतेबे हवाई अड्डा पर प्लेन को लैंड कर दिया। वहां का तत्कालीन तानाशाह ईदी अमीन ने इन हाईजैकर्स को वो सभी सुविधाएं दी जिसकी उन्होंने मांग की। आतंकियों के कहने पर ही ईदी अमीन ने अपनी सेना के खास लड़ाकों को बंधकों की निगरानी के लिए तैनात कर दिया। लैंडिंग के बाद विमान में सवार सभी इजरायली यात्रियों को पास बने एक टर्मिनल में ले जाया गया।

इधर इजरायल में विमान अपहरण की खबर आते ही खलबली मच गई। आनन-फानन में इजरायली सरकार ने सेना प्रमुख और खुफिया एजेंसी के चीफ के साथ मीटिंग की। इस दौरान फैसला लिया गया कि पहले आतंकियों की मांगों को सुना जाएगा। जिसके बाद इसपर कोई फैसला होगा। आतंकियों ने इजरायल की विभिन्न जेलों में बंद अपने सैकड़ों साथियों को छोड़ने की मांग रखी। इतना ही नहीं, ये आतंकी विदेशों में बंद अपने दूसरे साथियों को छुड़ाने और पांच मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग भी कर रहे थे। इसके लिए आतंकियों ने इजरायल को 48 घंटे का समय दिया था।

ईदी अमीन

इजरायल की नीति आतंकियों के साथ कोई भी समझौता न करने की रही है। जिसके कारण उन्होंने आतंकियों को उलझाने के लिए चाल चली और इस डील को लेकर बातचीत करनी शुरू कर दी। इस दौरान खुफिया एजेंसी मोसाद के जासूसों ने एंतेबे हवाई अड्डे से खुफिया जानकारी जुटानी शुरू कर दी। 30 जून को आतंकियों ने बंधक बनाए गए लोगों में से 48 को रिहा कर दिया। इनमें से अधिकतर बूढ़े और बीमार लोग थे। इन सभी को एक स्पेशल फ्लाइट से पेरिस भेज दिया गया।

इतने कम समय में इजरायली सरकार और सेना ने खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर हाईजैकर्स से 4 जुलाई तक का समय मांग लिया। जिसके बाद आतंकियों को भरोसा हो गया कि इजरायली सरकार उनके सामने घुटने टेकने के लिए तैयार हो गई है। इसलिए उन्होंने गैर इजरायली नागरिकों को रिहा कर दिया। अब एंतेबे हवाई अड्डे पर केवल 94 इजरायली यात्रियों के साथ कुल 116 लोग ही बंधक बचे थे।

इजरायल पहुंचे बंधक यात्री

3 जुलाई को इजरायली कैबिनेट ने लंबी बैठक के बाद को हरी झंडी दे दी। इस दौरान मोसाद ने गैर इजरायली बंधकों से कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर लीं। जिससे इजरायल के पास आतंकियों की तादाद और उनके हथियारों की जानकारी मिल गई थी। इसके अलावा मोसाद को यह पता लगा कि एंतेबे एयरपोर्ट के इस टर्मिनल को इजरायल की एक कंपनी ने ही बनाया था। जिससे ब्लू प्रिंट लेकर इस मिशन में शामिल सभी कमांडों को बिल्डिंग के नक्शे के बारे में समझा दिया गया।

3 जुलाई को ही इजरायल से 100 कमांडो की टीम सी 130 सुपर हरकुलिस विमानों से युगांडा के एंतेबे के लिए उड़ान भरी। इन विमानों में उन्होंने काले मर्सीडीज कारों के एक दस्ते को भी लोड किया था। उस समय युगांडा का तानाशाह ईदी अमीन काले रंग की मर्सीडीज कारों से ही चलता था। इसलिए आतंकियों और युगांडा की सेना को भ्रम में डालने के लिए इजरायल ने यह चाल चली। इन विमानों के साथ दो बोइंग 707 विमान भी थे जिसमें से एक में मेडिकल टीम थी जबकि दूसरे में यात्रियों को वापस लाया जाना था।

इजरायल लौटने के बाद कमांडों टीम का स्वागत

जैसे ही ये विमान रात को एंतेबे हवाई अड्डे पर उतरे काले मर्सीडीज कारों का काफिला तेजी से टर्मिनल बिल्डिंग की ओर बढ़ चला। लेकिन, उन्हें ये पता नहीं था कि ईदी अमीन उस समय युगांडा में नहीं था। ऐसे में इजरायल की पोल खुल गई। लेकिन, बिल्डिंग की पूरी जानकारी होने के कारण कमांडों तेजी से बंधकों के पास पहुंचे और हिब्रू भाषा में चिल्लाए कि लेट जाओ। इस कार्रवाई में सभी सात अपहरणकर्ता और युगांडा सेना के लगभग 50 जवान भी मारे गए, जबकि इजरायल के 3 बंधकों की मौत हुई। आते समय इजरायली कमांडो ने एयरपोर्ट पर खड़े युगांडा के सभी फाइटर प्लेन को बम से उड़ा दिया।

इस आपरेशन के दौरान इजरायली यूनिट के कमांडर और वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई योनाथन नेतन्याहू की मौत हो गई। दूसरे देश में इस सफल ऑपरेशन के बाद मोसाद और इजरायली फौज की जमकर तारीफ हुई।

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.