फिर मस्जिद बनेगा तुर्की का प्रसिद्ध हागिया सोफिया

फिर मस्जिद बनेगा तुर्की का प्रसिद्ध हागिया सोफिया
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के सुप्रीम कोर्ट ने इस्तांबुल की प्रसिद्ध को मस्जिद में बदलने का फैसला सुनाया है। इस विश्व प्रसिद्ध इमारत का निर्माण एक चर्च के रूप में हुआ था। 1453 में जब इस शहर पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य का कब्जा हुआ तो इस इमारत में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। तुर्की के इस्लामी और राष्ट्रवादी समूह लंबे समय से हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने की मांग कर रहे थे।

तुर्की में चुनावी मुद्दा थी यह इमारत
तुर्की के चुनाव में हागिया सोफिया हमेशा से ज्वलंत मुद्दा रहा। वर्तमान राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्डोगन ने चुनाव में इस इमारत को मस्जिद में बदलने का वादा कर वोट बटोरा था। कुछ दिन पहले ही तुर्की के उप विदेश मंत्री यावुज सेलिम ने कहा था कि हम देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की रक्षा करना जारी रखेंगे। नरमपंथी इस्लामी दल एकेपी से ताल्लुक रखने वाले मौजूदा तुर्की राष्ट्रपति एर्डोगन कमाल अता तुर्क की कमालवाद विचारधारा के खिलाफ कार्य करते रहे हैं।

हागिया सोफिया का किसने किया निर्माण
तुर्की की राजधानी इस्तांबुल की इस विश्व प्रसिद्ध इमारत का निर्माण लगभग 532 ईस्वी में बाइजेंटाइन साम्राज्य के शासक जस्टिनियन ने किया था। उस समय इस शहर को कुस्तुनतुनिया या कॉन्सटेनटिनोपोल के नाम से जाना जाता था। 537 ईस्वी में निर्माण पूर्ण होने के बाद इस इमारत को चर्च बनाया गया।

यह खूबसूरत चर्च कैसे बनी मस्जिद
1453 में इस शहर पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य सुल्तान मेहमत द्वितीय ने हमला कर कब्जा कर लिया। जिसके बाद कुस्तुनतुनिया का नाम बदलकर इस्तांबुल कर दिया गया। वहीं कुछ साल बाद इस्लामी कट्टरपंथियों ने इस चर्च में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद बना दिया। इतना ही नहीं, पूरे इस्तांबुल की ऐतिहासिक इमारतों को नष्ट कर उन्हें इस्लामिक रंग दिया गया।

मस्जिद से संग्रहालय बनने की कहानी
साल 1930 में जब आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमाल अता तुर्क ने सत्ता संभाली तो उन्होंने अपने देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने की खूब कोशिश की। इसी दौरान इस मस्जिद को संग्रहालय में बदल दिया गया। 1935 में हागिया सोफिया को संग्रहालय बनाकर आम जनता के लिए खोल दिया गया।

यूनेस्को ने तुर्की को दी चेतावनी
हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदले पर यूनेस्को ने तुर्की को चेतावनी दी है। यूनेस्को ने कहा कि सरकार किसी भी निर्णय से पहले उनसे जरूर बातचीत करे। 1500 साल पुरानी यह इमारत यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल है। यूनेस्को के प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन से पहले तुर्की को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके सार्वभौमिक मूल्य प्रभावित न हों। इसके लिए विश्व धरोहर समिति की जांच भी जरूरी है।

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