US जीपीएस के व‍िकल्‍प से बस एक कदम दूर चीन

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पेइचिंग
चीन अपने BeiDou के आखिरी सैटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इसके लॉन्च होते ही चीन अमेरिकी जीपीएस प्रणाली को छोड़कर खुद के पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग करने लगेगा। कहा जा रहा है कि चीनी जीपीएस के एक्टिव होने से उसकी नेवी और एयरफोर्स और मजबूत होगी।

30 सैटेलाइट्स से मिलकर बना है चीनी जीपीएस
BeiDou 30 सैटेलाइट से मिलकर बना है। जिसमें से 29 सैटेलाइट पहले ही लॉन्च किए जा चुके हैं। अब तक चीन अमेरिकी जीपीएस का उपयोग करता था जिसे यूएस एयरफोर्स कमांड करती है। ऐसे में के एक्टिव होने से चीन की अमेरिका पर निर्भरता और कम हो जाएगी। इस आखिरी सैटेलाइट को 16 जून को लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्ग मॉर्च 3बी रॉकेट में आई तकनीकी दिक्कत के कारण इसे टाल दिया गया।

अमेरिकी जीपीएस को लेकर सता रहा था डर
चीन को पहले डर था कि अगर अमेरिका से उसका युद्ध होता है तो उसे जीपीएस की सेवाएं लेने से रोका जा सकता है। लेकिन खुद का जीपीएस बनाने के बाद चीन के पास अब ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग वह स्वतंत्र रूप से अपनी थलसेना, नौसेना और वायुसेना के संचालन में कर सकता है।

साल 2000 में लॉन्च हुआ था पहला सैटेलाइट
चीन ने BeiDou को साल 2000 में लॉन्च किया था। तब यह प्रणाली केवल चीन में ही सैटेलाइट नेविगेशन की सुविधा प्रदान करती थी। लेकिन, 2012 में चीन ने इसका विस्तार एशिया प्रशांत क्षेत्र में जीपीएस सर्विस देने के लिए कर लिया। अब जब इस प्रणाली का आखिरी सैटेलाइट लॉन्च होने वाला है तब चीन को पूरे विश्व में जीपीएस की वैश्विक कवरेज मिल सकेगी।

चीन के कई महत्कांक्षी प्रोजक्ट को मिलेगी गति
विशेषज्ञों ने बताया कि BeiDou के एक्टिव होने से चीन को अमेरिकी जीपीएस के उपयोग की जरुरत नहीं होगी। यह चीनी जीपीएस स्मार्टफोन, ड्राइवरलेस कारों, विमानों और जहाजों को भी सहायता प्रदान करेगा। इतना ही नहीं, यह चीन के महत्वकांक्षी ड्राइवरलेस हाई-स्पीड ट्रेनों का भी मार्गदर्शन करेगा।

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