वो शख्श जिसने चीन की नाक में कर रखा है दम

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दुनिया में सुपरपावर बनने का सपना देख रहे चीन के सामने सिर्फ अमेरिका और कोरोना वायरस ही चुनौती नहीं हैं। जिस देश को उसके नागरिकों की हद से ज्यादा स्रूटिनी करने के लिए आलोचनाओं का सामना करने पड़ता है, करीब एक साल से उसकी नाक में दम कर रखा है एक 23 साल के लड़के ने। हॉन्ग-कॉन्ग में अपना राज चलाने की चीन की मंशा के सामने वहां के युवा दीवार बनकर खड़े हैं और इन युवाओं का नेता है हॉन्ग कॉन्ग का एक दुबला पतला लड़का जोशुआ वॉन्ग। देखें, कैसे चीन को टक्कर दे रहे जोशुआ और उनके साथी…

एक साल पहले हॉन्ग कॉन्ग प्रशासन एक बिल लेकर आया था, जिसके मुताबिक वहां के प्रदर्शनकारियों को चीन लाकर मुकदमा चलाने की बात थी। हॉन्ग-कॉन्ग के युवाओं को यह नागवार गुजरा और वे सड़कों पर उतर आए। हॉन्ग कॉन्ग के युवाओं को लगा कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी इस बिल के जरिए अपना दबदबा कायम करना चाहती है। दरअसल, हॉन्ग कॉन्ग चीन का हिस्सा होते हुए भी स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई का दर्जा रखता है। हॉन्ग कॉन्ग चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र कहलाता है।

जोशुआ ने इन प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया और सरकार ने विधेयक वापस भी ले लिया गया लेकिन एक साल बाद भी प्रदर्शन जारी हैं। लाखों लोगों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की है और वे अधिक लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की मांग कर रहे हैं। जोशुआ की पार्टी डोमेसिस्टो के ज्यादातर नेताओं की उम्र 20-25 वर्ष के आसपास ही है। डोमेसिस्टो की अग्रिम पंक्ति के नेताओं में एग्नेश चॉ 22 वर्ष जबकि नाथन लॉ 26 वर्ष के हैं।

जोशुआ वॉन्ग ची-फंग हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र स्थापित करने वाली पार्टी डेमोसिस्टो के महासचिव हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने एक स्टूडेंट ग्रुप स्कॉलरिजम की स्थापना की थी। वॉन्ग साल 2014 में अपने देश में आंदोलन छेड़ने के कारण दुनिया की नजर में आए और अपने अंब्रेला मूवमेंट के कारण प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने उनका नाम वर्ष 2014 के सबसे प्रभावी किशोरों में शामिल किया। अगले साल 2015 में फॉर्च्युन मैगजीन ने उन्हें ‘दुनिया के महानतम नेताओं’ में शुमार किया। वॉन्ग की महज 22 वर्ष की उम्र में 2018 के नोबेल पीस प्राइज के लिए भी नामित हुए।

वॉन्ग को उनके दो साथी कार्यकर्ताओं के साथ अगस्त 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। उन पर आरोप था कि साल 2014 में सिविक स्क्वैयर पर कब्जे में उनकी भूमिका रही थी। फिर जनवरी 2018 में भी उन्हें 2014 के विरोध प्रदर्शन के मामले में ही गिरफ्तार किया गया। जोशुआ का कहना है कि हाल ही में लाया गया नैशनल सिक्यॉरिटी कानूनी पहले के प्रत्यर्पण कानून से भी ज्यादा ‘शैतानी’ है। उनका कहना कि यह हॉन्ग-कॉन्ग की सिक्यॉरिटी के बारे में नहीं है बल्कि चीन की कम्यूनिस्ट सत्ता को मानने की बात की है। इसके साथ ही हॉन्ग-कॉन्ग की आर्थिक और लोकतांत्रिक आजादी के खोने का खतरा रहेगा।

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